बृजभूषण शरण सिंह क्या बीजेपी के लिए देश के पहलवानों से भी ज्यादा प्रिय हैं, क्या कुलदीप सेंगर की तरह इन पर गाज गिरने वाली है, या पहलवानों का धरना खत्म होने की कगार पर है, हमने जब ये जानने की कोशिश की कि बृजभूषण पर लगे रहे आरोपों का सच क्या है तो कुछ चौंकाने वाली बातें पता चली, जिसके मुताबिक
भारतीय खेल प्राधिकरण के दो सेंटर हैं, जिनमें पहला सोनीपत में और दूसरा लखनऊ में है, सोनीपत वाले सेंटर में पुरुष पहलवान को ट्रेनिंग मिलती है, जबकि लखनऊ वाले में महिला पहलवानों को, 12 साल से WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने ही ये सेंटर अलग करवाए, क्योंकि एक सेंटर होने से कई तरह की दिक्कतें आ रही थी, ऐसे में हरियाणा के पहलवान लड़कियों को लखनऊ भेजे जाने से नाराज थे, इसके अलावा पहले ये नियम था कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता में नंबर1 आने वाले राज्य दो टीमें लेकर जा सकते थे, लेकिन ये नियम भी बदल गया, ताकि हर राज्य के खिलाड़ी को बराबर मौका मिले.

ये बातें कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप 2007 में सिल्वर जीतने वाले पहलवान अरुण कुमार ने बीबीसी से बातचीत में कही है, इसके अलावा एक चर्चा ये भी है कि WFI यानि रेसलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष का चुनाव दीपेन्द्र हुड्डा ने भी एक बार लड़ा था और वो हार गए, इसलिए अब इस धरने को समर्थन दे रहे हैं, इन तीनों वजहों से हरियाणा के पहलवानों ने बृजभूषण पर ऐसे गंभीर आरोप लगाए, और ये आरोप तब कमजोर पड़ गए, जब आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की के रिश्तेदारों ने कहा कि वो नाबालिग नहीं है, बल्कि उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है, तो सवाल ये है कि क्या बृजभूषण के खिलाफ कोई गेम हो रहा है, हो सकता है ये सब आरोप सियासी हों, पर असल सवाल ये है कि बृजभूषण शरण सिंह की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, हमने जब ये जानने की कोशिश की तो कुछ अलग बातें पता चली.
दिल्ली पुलिस कहती है बृजभूषण के खिलाफ हमें सबूत नहीं मिले, इसलिए गिरफ्तार नहीं किया, पॉक्सो एक्ट के जिस धारा के तहत एफआईआर दर्ज हुई है, उसमें पुलिस गिरफ्तारी के लिए बाध्य नहीं है.
लेकिन कई लोग ये पूछ रहे हैं कि पुलिस को असल में सबूत मिले नहीं या फिर सबूत ढूंढने की कोशिश नहीं हुई, ये जवाब शायद पुलिस से अदालत में मांगा जाए, लेकिन यहां जब आप बृजभूषण सिंह का सियासी कद समझने की कोशिश करेंगे तो कई बड़े सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे. गोंडा से आने वाले बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के लिए जरूरी हैं, क्योंकि गोंडा क्षेत्र में इनका राजनीतिक कद भाजपा पर निर्भर नहीं है, निकाय चुनाव में बृजभूषण की फोटो निर्दलीय प्रत्याशी के पोस्टर पर दिखी लेकिन पार्टी ने कोई सवाल नहीं उठाया, और नतीजा ये हुआ बीजेपी प्रत्याशी जनार्दन सिंह की हार हुई, एक रैली में योगी ने तीन बार बृजभूषण सिंह को अपने मंच पर बैठने के लिए बुलाया, तब जाकर वो उनके बगल में बैठे, ये किस्सा भी काफी चर्चा में रहा, कई पत्रकार कहते हैं दोनों के रिश्ते ठीक नहीं है, पर बृजभूषण का रसूख इतना है कि उनकी पकड़ हाईकमान के अलावा कई बड़े लोगों से है. और यही पकड़ शायद उन्हें अब तक जेल से बाहर रखे हुए है, बृजभूषण शरण सिंह आज माननीय सांसद हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक विरोधी इन्हें नकल माफिया भी कहा करते थे, कई जिलों में इनके 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज हैं, जहां हजारों लड़के-लड़कियां पढ़ती हैं, पर ऐसे आरोप पहले कभी नहीं लगे, अब पहलवानों के धरने को एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं, साक्षी मलिक से लेकर बजरंग पूनिया तक हर पहलवान यही कह रहा है कि बृजभूषण सिंह असल आरोपी है, पहलवान अपना मेडल गंगा नदी में बहाने भी गए थे, लेकिन नरेश टिकैत ने उन्हें रोक लिया और 5 दिनों का टाइम मांगा है, 5 दिन बाद भी अगर बृजभूषण सिंह गिरफ्तार नहीं होते तो पहलवान क्या करेंगे, ये किसी को नहीं पता, पर दोषी साबित होते ही जेल की रोटी खानी होगी ये बृजभूषण भी खुद जानते हैं, और पार्टी कभी माफ नहीं करेगी, क्योंकि ऐसे लोगों का सिर्फ एक ही इलाज है वो है कड़ी से कड़ी कार्रवाई, आप इस पर क्या कहेंगे कमेंट में बता सकते हैं. क्योंकि सच-झूठ का फैसला तो अदालत करेगी पर जनता की नजर में बृजभूषण शरण सिंह कैसे हैं ये आपको तय करना है.
ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज फ्लैश