यशस्वी जायसवाल का शतक रोकने के लिए किसने साजिश की. कौन है वो बड़ा खिलाड़ी जो नहीं चाहता था कि उनका शतक पूरा हो. आखिर में यशस्वी का शतक पूरा नहीं हुआ लेकिन उन्होंने अपनी टीम को मैच जिता दिया और आईपीएल के इतिहास का सबसे तेज अर्धशतक जड़ दिया. केवल 13 गेंदो में फिफ्टी जड़ने वाले यशस्वी जायसवाल शतक बना सकते थे लेकिन एक साजिश के तहत उनके शतक को रोका गया. जहां एक तरफ सारे बड़े खिलाड़ियों ने यशस्वी की पारी को सराहा और उनकी जमकर तारीफ की. वहीं दूसरी तरफ उनके शतक को क्या जानबूझकर रोक गया. ये सवाल सोशल मीडिया पर खड़ा हो गया.
ये तस्वीर देखिए,

केकेआर के स्पिन गेंदबाज सुयश शर्मा गेंदबाजी कर रहे थे और क्रीज पर यशस्वी जायसवाल थे. उनकी टीम को जीतने के लिए 4 रनों की जरूरत थी और यशस्वी को शतक के लिए 6 रनों की जरूरत थी. अगर वो छक्का मारते तो शतक पूरा हो जाता. लेकिन सुयश शर्मा ने गेंद लेग स्टंप के इतना बाहर फेंकी की जैसे-तैसे संजू सैमसन ने बल्ला चट किया. जो तस्वीर में साफ देखा जा सकता है. अगर ये बॉल निकल जाती तो कीपर से भी नहीं रुकती और बाउंड्री के बाहर चली जाती. जिसका मतलब होता कि राजस्थान रॉयल्स मैच जीत जाता. इसके बाद संजू सैमसन ने यशस्वी को इशारा किया कि छक्का मारो और शतक पूरा करो. संजू सैमसन काफी गुस्से में लग रहे थे.

लेकिन इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस चल रही थी कि संजू सैमसन अगर पहले से ध्यान देते तो यहां तक नौबत ही नहीं आती. क्योंकि संजू सैमसन ने 29 गेंदो पर 48 रन बनाए. जिसमें 2 चौके और 5 छक्के लगाए. अगर वो थोड़ा जायसवाल को स्ट्राइक ज्यादा देते तो शायद पहले ही उनका शतक पूरा हो जाता. वैसे भी टीम तो जीत ही रही थी क्योंकि 13.1 ओवर में ही 150 का टारगेट पार कर लिया.
यशस्वी जायसवाल ने 13 गेंदों में अर्धशतक जमाया. इससे पहले आईपीएल इतिहास में सबसे तेज अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड केएल राहुल के नाम था जिन्होंने 14 गेंदो में अर्धशतक जमाया था और 15 गेंदो में निकोलस पूरन ने पचासा बनाया था. कमाल की बात ये रही कि यशस्वी जायसवाल ने पारी के पहले ही ओवर में 26 रन कूट डाले. नीतीश राना पता नहीं क्या सोचकर पहला ओवर लेकर आये थे. जायसवाल ने पहली गेंद पर छक्का मारा, दूसरी पर भी छक्का मारा, तीसरी और चौथी गेंद पर चौका जड़ा, पांचवी गेंद पर दो रन लिये और छठवीं गेंद पर भी चौका जमा दिया.

यशस्वी जायसवाल की कहानी भी बेहद बेहतरीन है. जब वो 11 साल के थे तभी से उनकी प्रतिभा सामने आने लगी थी. लेकिन उनके पास बुनियादी सुविधाओं की बेहद कमी थी. यशस्वी के पास खाने तक के लिए भी पैसे नहीं होते थे. ना ही रहने के लिए कोई जगह थी. इसीलिए जायसवाल मुंबई के एक क्लब में गार्ड के साथ टेंट में रहते थे. जब बारिश होती थी तो पानी से बचने के लिए कोने ढूंढते थे. वो दिन में क्रिकेट खेलते थे और रात में गोलगप्पे बेचते थे.
11 साल की उम्र में एक बच्चा अपना जीवन अच्छा करने के लिए उत्तर प्रदेश के भदोही जिल से निकलकर मुंबई में ये मेहनत कर रहा था.
यशस्वी ने ये सोच रखा था कि अगर वो क्रिकेट जारी नहीं रख पाए तो सेना में जाने की कोशिश करेगें. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. आज़ाद मैदान में ही यशस्वी को स्थानीय कोच ज्वाला सिंह मिले उन्हें यशस्वी में कुछ दिखा उन्होंने यशस्वी के नए जूते और किट दिलवाए और रहने के लिए अपने चाल के कमरे में जगह भी दी. ज्वाला सिंह की भी कहानी कुछ इसी तरह की थी मगर उन्हें कोई मदद करने वाला नहीं था इसलिए उन्होंने यशस्वी की मदद करने की ठानी.
उसके बाद यशस्वी ने दादर यूनियन क्लब ज्वाइन किया. दिलीप वेंगसरकर ने क्लब के खिलाड़ी के तौर पर यशस्वी को इंग्लैंड भेजा. उसके बाद यशस्वी U 16, 19 और 23 के लिए खेले. यशस्वी विजय हज़ारे ट्राफ़ी में 50 ओवर के मैच में 200 रन बनाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. U 19 में उनकी प्रतिभा को राहुल द्रविड़ ने तराशा. 2020 के IPL में राजस्थान ने यशस्वी को 2 करोड़ 40 लाख में ख़रीदा..यशस्वी की सफलता के आगे की कहानी अब सब के सामने है.
ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज फ्लैश