अनाथ हुई अर्पणा, योगी का आख़िरी वादा रह गया अधूरा, आज बेटे की तरह है तैनात!
योगी की सोच को हर समाजवादी सलाम कर रहा है, अखिलेय़ यादव के साथी योगी के इस व्यवहार पर हाथ जोड़कर क्षमा मांग रहे है है! हर काम टाल कर, हमारे ग्रंथ हमं यहीं सिखाते है, कल्याण सिंह की मौत के बाद अखिलेश यादव अपने आवास पर ही थे…कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर से अखिलेश मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर थे, लेकिन वो कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल होने नहीं गए, मुलायम की मौत की ख़बर सुनते ही योगी ने खुलकर कहा लिखा कि मैं नेताजी के लिए सैफई जाऊंगा…अंतिम वादा अधूरा रह गया, उसे पूरा करूंगा लेकिन अपने नेता को विधाई दूंगा…सियासत का सबसे बड़ा पाठ यहीं है…इसलिए कहते है किसी की मौत पर मजाक मत बनाओ, आज किसी और की तो कल मेरी आपकी…योगी आदित्यनाथ अखिलेश के पीछे-पीछे सैफई पहुंच गए, खड़े रहे, कोई सियासी बात नहीं कुछ नहीं ऐसा लगा जैसे कोई ठोस वादा था जो अधूरा रह गया

मुलायम सिंह की खराब तबीयत की ख़बर सुनते ही योगी गुलाब का फूल लेकर मुलायम के घर पहुंच गए थे, झूक कर प्रणाम किया, मुलायम ने कंधे पर हाथ रखा, आशीर्वाद दिया…गुरूग्राम के अस्पताल में योगी मुलायम से मिलने जाने वाले थे, इसकी तैयारी होती कि उसके पहले नेताजी ने साथ छोड़ दिया…योगी मुलाकात नहीं कर पाए…ये कल्याण सिंह जब बीमार थे तो योगी दौड़-दौड़कर अस्पताल जाते…सुषमा स्वराज हो या फिर अरूण जेटली, मुलायम हो या कल्याण सिंह योगी हमेशा ऐसे ही रहते है

सियासत के सबसे बड़े विरोधी, योगी ने बेटे से छिन ली सत्ता, बुरे दौर में योगी साथ है
मुलायम सिंह यादव के कहने पर ही अपर्णा यादव योगी के साथ गई थी, अपर्णा के ससुराल में अब उनका अपना कोई नहीं रहा…तीन महीने पहले उनकी मां साधना की मौत हुई तो मुलायम टूट गए, चुनाव के वक्त योगी पर भरोसा कर अपर्णा बीजेपी में गई थी…मुलायम सिंह यादव ने पूरे चुनाव में योगी के ख़िलाफ़ एक शब्द नहीं बोला…अनाथ अपर्णा के सिर पर अब सिर्फ योगी का हाथ है…जो नेताजी का आख़िरी सपना था..और योगी का आख़िरी वादा

योगी ने दिया आख़िरी नाम,मुलायम को योगी सामने से नेताजी नहीं अब्बा जान कहते!
मुलायम सिंह यादव सत्ता में सक्रिय नहीं थे, उसी दौरान मुलायम सिंह यादव को योगी ने अब्बाजान कहकर बुलाया…हालांकि ये कम लोग जानते होंगे…योगी जब भी मुलायम से मिलते या बात होती तो वो उन्हें प्यार से अब्बा जान ही कहते, योगी खुलकर कहते कि आपने एक तरफ की सियासत ज्यादा की थी…अब मैं एक तरफ की सियासत ज्यादा करता हूं…तो दोनों एक जैसे ही है…इसलिए आपको ये नाम देना अच्छा लगता है….उनकी अंतिम यात्रा में योगी शामिल है

UP में आज हालात ऐसे ही कि मुसलमानों के घर खाना नहीं बना होगा…उस वक्त जब बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया, बाबरी कांड हुआ, तब मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों का पक्ष लिया, उस वक्त देश में मंडल और कमंडल वाली सियासत चल रही थी, इधर मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को अपने साथ ले लिया…आज भी अगर मुसलमानों से कोई पूछता है तो कहते है मुलायम से बड़ा नेता कोई नहीं है, ससंसद से लेकर सड़क तक मुसलमानों की पैरवी करने वाले नेता के जाने से यूपी के करोड़ों मुस्लिम परिवार को सदमा लगा होगा
हालांकि हर चेहरे के कई किरदार होते है…जिन मुलायम को कुछ मसीहा मानते है, उन्हीं को उत्तराखण्ड विलेन मानते है…कहते है उनकी मौत की ख़बर के बाद जैसे सैफई में हर परिवार रोया, वैसे ही उत्तराखण्ड का हर व्यक्ति जश्न मना रहा था…उत्तराखण्ड विभाजन के दौरान रामपुर तिराहा की घटना से हर उत्तराखण्ड नाराज़ है…लेकिन उन सबको योगी से सीखना चाहिए, वो भी उत्तराखण्डी है पर दिल कैसे जीता जाता है ये बता दिया….मुलायम की मौत के बाद कुछ सरकारी विभाग और सड़कों का नाम बदलकर योगी मुलायम सिंह यादव का नाम दे सकते है, क्योंकि बीजेपी में आज भी कोई ऐसा नेता नहीं है जो मुलायम का सम्मान न करता हो, उसमें योगी का नाम सबसे ऊपर आता है