वीरेंद्र सहवाग को BCCI ने कभी फेयरवेल पार्टी नहीं दी…एक वक्त था जब सचिन का नाम बिना सहवाग अधूरा लगता था…लेकिन जब सचिन की विदाई हुई तो उन्हें कंधे पर बैठाकर विदाई दी गई…पर ये क्रिकेट का आधा सच है, पूरा सच ये है कि धोनी जैसे महान कप्तान और खिलाड़ी तक को BCCI ने विदाई नहीं दी…न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ धोनी का रन आउट होना ही आख़िरी मैच था, उन्हें कभी याद नहीं किया गया, कुछ ऐसा ही वीरेंद्र सहवाग के साथ हुआ, सुरेश रैना और युवराज सिंह तक इंतज़ार करते रहे कि जिस देश के लिए उन्होंने दो-दो विश्वकप जीते वहां उनका सम्मान होगा पर कभी BCCI ने इस बारे में सोचा ही नहीं…विश्वकप ख़त्म होने के बाद कई खिलाड़ी आपको दोबारा नहीं दिखाई देंगे, जिसमें दिनेश कार्तिक का नाम पहला है…विश्वकप के बाद न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ तीन T20 में कार्तिक को बाहर कर दिया गया, यहां तक कि उस मैच में पंत को वाइस कैप्टन बनाया गया है

BCCI में किसी भी खिलाड़ी की विदाई को लेकर कई मतभेद हैं, और दो तरह का प्रयोग किया जाता है
रॉबिन उथप्पा को एक मैच में खिलाकर विदाई दी गई पर सहवाग इंतज़ार करते रहे मौका नहीं मिला!
धोनी का सन्यास विवादों में रहा,महेंद्र सिंह धोनी को मिलना था पर उनको कभी याद नहीं किया गया
सचिन के बाद आशीष नेहरा जैसे कुछ खिलाड़ियों को ही विदाई मिली बाकी सब मुंह ताकते रह गए थे

हमारी बातें हवा में नहीं हैं, वीरेंद्र सहवाग के दर्द की समीक्षा कोई नहीं कर सकता है, एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने खुद इसपर सवाल उठाते हुए कहा था

मैं ये पूछना चाहूंगा कि क्या देश के लिए 12-13 साल खेल चुके किसी प्लेयर को फेयरवेल मैच का मौका मिलने का भी हक नहीं है? मेरे जेहन में हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि मुझे खेलते हुए रिटायरमेंट का मौका नहीं मिला…खैर, ये भी स्पोर्ट्समैन की जिंदगी का हिस्सा है…अगर सेलेक्टर्स मुझे बता देते कि हम आपको ड्रॉप कर रहे हैं तो मैं उनसे गुजारिश कर पाता कि मुझे दिल्ली में मेरा आखिरी टेस्ट मैच खेलने दिया जाए ताकि मैं वहां रिटायरमेंट ले सकूं….लेकिन मुझे ये मौका नहीं दिया गया…मुझे इस बात का अफसोस रहेगा

वीरेंद्र सहवाग ही नहीं सुरेश रैना भी इसके लिए लंबे समय तक इंतज़ार करते रहे, पर उनके साथ सियासत हो गई, गौतम गंभीर को फॉर्म में रहने के बाद भी बाहर फेंक दिया गया था…इरफान पठान को तो जवानी में ही बैठा दिया गया…..पठान ने तो एक बार खुलकर ये तक कह दिया था कि जिन खिलाड़ियों को फेयरवेल नहीं मिला उनका मैच भारतीय टीम के साथ करवाना चाहिए, पठान ने अपनी टीम में धोनी से लेकर राहुल द्रविड़ तक को रखा था…द्रविड़ ने भारत के लिए दीवार की भूमिका निभाई पर वक्त पर बाहर फेंक दिया गया था

इसलिए दिनेश कार्तिक को भी संन्यास की तरफ सोचना चाहिए, T20 से शमी को भी संन्यास का ऐलान करना चाहिए, क्योंकि अब इनको मौका मिलेगा ऐसा लगता नहीं है…दिनेश कार्तिक की उम्र 38 साल है, और वक्त रहते अपने सम्मान की तैयारी कर लें, क्योंकि BCCI जब राहुल द्रविड़ और सहवाग, धोनी, गंभीर जैसे खिलाड़ियों को भूल गई वो कार्तिक को याद क्यों रखेगी? और रिटायरमेंट सबसे भावुक पल होता है…यहां सबको सम्मान मिलना चाहिए

सबसे ज्यादा दुख धोनी को लेकर होता है, महेंद्र सिंह धोनी विश्व कप सेमीफाइनल मैच में रन आउट हो गए थे, रोते हुए मैदान से बाहर आए थे, उसके बाद उन्हें खिलाना नहीं खिलाना BCCI का फैसला होता पर जिस कैप्टन ने आपको वर्ल्ड कप दिलाया, टेस्ट मैच में नंबर एक बनाया, T20 खिताब जिताया उन्हें कैसे कोई भूल सकता है ? आप क्या कहते हैं ? कार्तिक को संन्यास लेना चाहिए या BCCI पर भरोसा करना चाहिए जो कार्तिक नहीं पंत की दिवानी है