गांधी को नहीं तो जुबैर को क्यों,क्या किसी मुख्यमंत्री या मंत्री ने भेजा जुबैर का नाम,हुआ बड़ा खुलासा
क्या मोदी-योगी का जो जितना बड़ा विरोधी होगा उसे विदेश से भर-भरकर सपोर्ट मिलेगा, यहां तक कि नोबेल का शांति पुरस्कार भी उसे दिया जा सकता है, क्योंकि मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा का नाम तो लगभग फाइनल ही था, मीडिया में ख़बर भी आ गई कि जुबैर दुनिया की नजरों में शांतिदूत बनने वाले हैं, लेकिन आखिरी 24 घंटे ही गेम पलट गया. दरअसल शांति पुरस्कार के लिए जुबैर का नाम सुनते ही मोदी-शाह को लगा कि ये क्या हो गया. एस जयशंकर ने तो ख़बर देखते ही नार्वे फोन मिला दिया और पहला सवाल यही पूछा कि बताओ जब गांधी का नाम पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मिला और उन्हें नहीं दिया तो जुबैर का नाम कैसे फाइनल होने वाला है, उधर से आवाज आई सर हम देखते हैं, उसके बाद न तो जुबैर को मिला, न प्रतीक सिन्हा को, यहां तक कि बवाल का समर्थन करने वाले हर किसी का नाम कट गया. पहले सुनिए कि 2022 का नोबेल शांति पुरस्कार किसे मिला फिर आपको बताते हैं जुबैर का नाम वहां भेजा किसने, क्योंकि आप चुनाव की तरह वहां खुद नॉमिनेशन नहीं कर सकते.

बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाएगा, इन्हें नोबेल डिप्लोमा, नोबेल मेडल, 9 लाख 11 हजार डॉलर की राशि 10 दिसंबर 2022 को दी जाएगी.
ये पुरस्कार डायनामाइट के अविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है, नोबेल पुरस्कार दुनिया का बहुत बड़ा पुरस्कार होता है, जिसे मिलने का मतलब है कि आप दुनिया के उन गिने-चुने लोगों की लिस्ट में शामिल हैं जिन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है. अब सवाल ये उठता है कि अल्ट न्यूज के संस्थाक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर ने ऐसा क्या किया, जुबैर के खिलाफ 7 एफआईआर दर्ज हैं, उनपर दंगे फैलाने का आरोप है, नूपूर शर्मा के बयान पर 57 मुस्लिम देशों ने भारत को जो भी भला-बुरा कहा, ट्विटर पर जो ट्रेंड चला, नुपूर को जो धमकी मिली उन सबका जिम्मेदार जुबैर को ठहराया गया. कहा जा रहा है कि जुबैर की वजह से देश का नाम खराब हुआ, इसलिए जुबैर का नाम वहां कैसे पहुंचा ये बड़ा सवाल है, नियम के मुताबिक

मुख्यमंत्री, मंत्री, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य, l’Institut de Droit International के सदस्य, महिला अंतर्राष्ट्रीय लीग के अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य, नोबेल पुरस्कार विजेता, नॉर्वेजियन नोबेल समिति के वर्तमान या पूर्व सदस्य या नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सलाहकार ही इसके लिए किसी का नाम भेज सकते हैं, आप खुद आवेदन करेंगे तो उसे नहीं माना जाएगा.
मतलब किसी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री जिसे अल्ट न्यूज पसंद हो उसने ही नाम भेजा होगा, इसका खुलासा नहीं होता इसलिए हम आपको नहीं बता सकते. चूंकि जुबैर पर दंगे का आरोप है, नुपूर शर्मा के बयान का वीडियो विदेशों तक फैलाने और फिर उसकी वजह से हुए बवाल का जिम्मेदार भी जुबैर को कुछ लोग मानते हैं, अधिकतर फैक्ट चेक ख़बरें आप बीजेपी और सरकार के खिलाफ देखते हैं, ऐसे में ये कहा जा रहा है कि जुबैर का नाम मोदी और योगी की विरोध की वजह से दिया गया था. टाइम मैगजीन का मानना है कि ये हेट स्पीच पर लगाम लगाते हैं, ज्यादातर विदेशी मीडिया उस वक्त जुबैर के पक्ष में थी, कहा ये तक गया कि अल्ट न्यूज की फंडिंग विदेशों से होती है, हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसका खुलासा नहीं हो सका, लेकिन जुबैर पर लगे आरोप गंभीर हैं.