क्या बाबा बागेश्वर हिंदुओं को बचाने अब बांग्लादेश जाएंगे, और उनके साथ साधृ-संतों की पूरी टोली जाएगी, क्या राजा भैया से लेकर संजय दत्त तक बांग्लादेश की सड़कों पर सनातनियों की सुरक्षा को लेकर खड़े होंगे. संसद से वो कौन सा ऐलान हुआ है, जिसने बांग्लादेश के युनूस सरकार की नींद उड़ाकर रख दी है, और माता का वो मंदिर कौन सा है, जहां कुछ हुआ तो खुद मोदी बांग्लादेश जा सकते हैं, ये बताएं उससे पहले जरा बांग्लादेश की तस्वीरें देख लीजिए. जो कुछ समय पहले तक धर्मनिरपेक्ष था, लेकिन अब शरियत शासन की ओर आगे बढ़ रहा है.
ये है बांग्लादेश का चटगांव, जुम्मे की नमाज के बाद वहां भीड़ सड़कों पर उतरती है, अल्लाह हू अकबर के नारे लगाती है, और इस्कॉन मंदिर के अंदर तोड़फोड़ करने लगती है. ये घटना होती है 29 नवंबर को, उसके बाद ये परंपरा बन जाती है, हर रोज कोई न कोई मंदिर, मठ और पुजारी निशाना बनाया जाता है, और ये भीड़ कब ढाकेश्वरी नेशनल मंदिर की ओर बढ़ जाएगी, कहा नहीं जा सकता, ये मंदिर हिंदुओं का सबसे बड़ा शक्तिपीठ है, जिसके बारे में कहा जाता है यहां माता सती का मुकुट गिरा था. मोदी चूंकि मां दुर्गा के बड़े भक्त हैं, इसलिए वहां के हिंदुओं की रक्षा के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.
बांग्लादेश का मुद्दा अब इंटरनेशनल इसलिए भी हो गया है, क्योंकि 25 नवंबर को इस्कॉन मंदिर के बड़े साधू चिन्मय दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है. और ये सब तब होता है जब बाबा बागेश्वर हिंदुओं की एकजुटता को लेकर यात्रा निकाल रहे होते हैं, माइक लेकर कहते हैं
बांग्लादेश के हिंदुओं को भी एक होना होगा, सड़कों पर उतरना होगा, वरना न मंदिर सुरक्षित बचेंगे, और ना ही सनातनी
बाबा की इस अपील पर हजारों हिंदू वहां सड़कों पर उतरे हैं, जिनकी आवाज दबाने की कोशिश में बांग्लादेश की सेना लगी है, जिसके विरोध में भारत के त्रिपुरा में रैली निकाली जाती है, हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरते हैं, और उच्चायोग में घुसने की कोशिश करते हैं, तो वहां की पुलिस खुद उन्हें रोकने की कोशिश करती है
लेकिन बांग्लादेश यहां भी अपनी चाल चलने लगता है, वो ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब कर लेती है, जो मीटिंग के बाद साफ-साफ कहते हैं हमारे रिश्ते एक दो घटनाओं से नहीं बदल सकते, जबकि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में खड़े होकर साफ-साफ कहा वहां के हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां के सरकार की है. जयशंकर कहते हैं
बांग्लादेश के सभी नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है। इसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं। भारतीय उच्चायोग ढाका में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से जुड़े हालात पर करीब से नजर रख रहा है.
यहां तक कि इटली से लौटने के तुरंत बाद जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बांग्लादेश के हालात को लेकर ब्रीफ भी किया है, दोनों की सीक्रेट मीटिंग में कई बड़े प्लान भी तैयार हुए हैं, जिसमें इस बात पर भी चर्चा होने की ख़बर है कि कैसे 1971 में इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश बनाया और वहां के प्रधानमंत्री मुजीब ने भारत विरोधी एजेंडा चलाना शुरू किया, पर इंदिरा चुप रहीं, कई बांग्लादेशी ये मानते हैं कि अगर इंदिरा ने उस वक्त सख्त रुख अपनाया होता तो आज ये हालत नहीं होती, और बांग्लादेश के कुछ नेता फिलहाल यही सोच रहे हैं कि भारत से हम अपनी बात मनवा लेंगे, लेकिन कहते हैं मोदी-शाह की जोड़ी किसी समस्या से निपटने की तैयारी बरसों पहले ही कर लेती है, और इसका सबसे बड़ा उदाहऱण है सीएए,
यानि नागरिकता कानून, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अवैध प्रवासियों को नागरिकता का हक देता है, इसके तहत कईयों को अब तक नागरिकता मिल भी चुकी है, लेकिन सवाल है बांग्लादेश में जितने हिंदू हैं, अगर वो सब हिंदुस्तान आना चाहें तो उस पर सरकार क्या फैसला लेगी. देश की जनता तो यही मांग रही है कि मोदी-योगी की जोड़ी वहां के हिंदुओं को हर हाल में बचाए, लेकिन जब बात दूसरे देश से जुड़ा हो तो फिर आपके हाथ बंधे होते हैं. पर अगले कुछ दिनों में बड़ा ऐलान होने की उम्मीद है.