नई दिल्ली: चीन के साथ नॉर्मल हो रहे रिश्तों के बीच भारतीय रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि बीजिंग के साथ सीमा विवाद नई दिल्ली के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और यह भविष्य में भी बनी रहेगी. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, जनरल चौहान ने पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ छद्म युद्ध को अगली बड़ी चुनौती के रूप में सूचीबद्ध किया.
उन्होंने कहा, "देशों के सामने चुनौतियां क्षणिक नहीं होतीं. वे अलग-अलग रूपों में मौजूद रहती हैं. मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और यह आगे भी रहेगी... हमारे दोनों विरोधी परमाणु शक्ति संपन्न हैं, और उनके खिलाफ किस तरह की सैन्य कार्रवाई करनी है, यह तय करना हमेशा एक चुनौती रहेगा."
सीमा विवाद लंबे समय से भारत-चीन संबंधों में एक परेशानी का कारण रहा है, जिसमें कई बार तनातनी और झड़पें हुई हैं. पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प सबसे हालिया थी, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों की मौत हुई थी. हालांकि, पिछले साल भारत और चीन द्वारा सीमा विवाद को सुलझाने और सैन्य वापसी के फैसले के बाद संबंधों में सुधार देखा गया है. तब से दोनों पक्षों ने सीमा व्यापार फिर से शुरू करने, सीधी उड़ानें बहाल करने और व्यापारिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए वीजा जारी करने का निर्णय लिया है.
रक्षा प्रमुख ने पाकिस्तान से उत्पन्न चुनौतियों और क्षेत्रीय अस्थिरता पर भी बात की. उन्होंने कहा, "दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान का भारत के खिलाफ छद्म युद्ध है, जिसकी रणनीति 'हजार घावों से भारत को कमजोर करने' की है. क्षेत्रीय अस्थिरता भी चिंता का विषय है, क्योंकि भारत के लगभग सभी पड़ोसी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अशांति का सामना कर रहे हैं." ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बात करते हुए, जनरल चौहान ने जोर दिया कि सैन्य अभियानों में "आश्चर्य का तत्व" महत्वपूर्ण है, जो सशस्त्र बलों को दुश्मन पर बढ़त दिलाता है.
उन्होंने कहा कि 2019 में बालाकोट घटना के बाद, जब भारतीय और पाकिस्तानी जेट विमानों के बीच हवाई भिड़ंत हुई थी, नई दिल्ली ने लंबी दूरी की सटीक हमलों पर काम किया, जबकि इस्लामाबाद ने अपनी हवाई रक्षा को मजबूत करने पर ध्यान दिया. उन्होंने कहा, "जब पहलगाम आतंकी हमला हुआ, तब तक हमने अपनी सटीक हमले की क्षमताओं को बढ़ा लिया था. हमने आश्चर्य बनाए रखने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निचले हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की कोशिश की." शीर्ष जनरल ने कहा, "लेकिन, जब हमने राजनीतिक नेतृत्व के साथ चर्चा की, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि केवल ड्रोन और लॉइटरिंग मुनिशन का उपयोग हमारे राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल नहीं करेगा. बहावलपुर और मुरिदके को नष्ट करने के लिए हवाई हमले आवश्यक थे."
7 मई को पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के भीतर नौ आतंकी शिविरों को नष्ट किया और तीन दिनों की सैन्य कार्रवाई में प्रमुख सैन्य सुविधाओं को निशाना बनाया. विपक्ष के उन दावों को खारिज करते हुए कि ऑपरेशन के दौरान सशस्त्र बलों के हाथ बंधे थे, जनरल चौहान ने जोर देकर कहा कि सेना को योजना बनाने से लेकर लक्ष्यों के चयन तक सभी चरणों में पूर्ण स्वतंत्रता थी.