...ये हिंदुस्तान के वो शूरवीर हैं, जिनकी बहादुरी का किस्सा सुनकर देश ताली बजाएगा! जिन्हें सम्मानित करने के लिए छत्तीसगढ़ और तेलंगाना बॉर्डर से स्पेशली गृहमंत्री शाह ने दिल्ली बुलाया, जहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने पहले शाह का गुलदस्ता देकर स्वागत किया, फिर सीआरपीएफ के इन जवानों को शाह ने शॉल ओढ़ाकर और भगवान शिव की नृत्य मुद्रा यानि नटराज की तस्वीर देकर सम्मानित किया.
नटराज प्रतिमा तांडव का प्रतीक होती है और इन जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में एक तरीके से तांडव ही मचाया है, जिसके बाद दुश्मनों की कमर टूट गई, जहां कभी नक्सली बैठकर मीटिंग करते थे, जिस कर्रागुट्टा हिल्स पर नक्सलियों की साजिशों का खाका तैयार होता और फिर उसे देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉन्च किया जाता, उस पहाड़ी को इन जवानों ने नक्सलियों से मुक्त करवाया, जो कितना मुश्किल था.
जहां गृहमंत्री शाह कुछ जवानों को मोर की मूर्ति देकर भी सम्मानित करते दिख रहे हैं. लेकिन वहां बैठे लोग भी तब भावुक हो गए, जब गृहमंत्री शाह उन जवानों के सामने पहुंचे जो व्हीलचेयर पर बैठे थे, जो दुश्मन से लोहा लेते-लेते खड़े होने की स्थिति में नहीं थे, पर उनका दिल अब भी फौलादी है, चेहरे के भाव बता रहे थे, वो अब भी नक्सलियों की कमर तोड़ने को तैयार हैं. शायद इस ऑपरेशन में वो घायल हो चुके थे. देश ने इस ऑपरेशन में दो जवानों को भी खोया, जितने भी जवान इस ऑपरेशन में शामिल रहे, उनके परिजनों से भी शाह ने मुलाकात की औऱ हरसंभव मदद का भरोसा दिया.
साथ ही एक्स पर लिखा, ''31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलमुक्त बनाना मोदी सरकार का संकल्प है. जब तक सारे नक्सली या तो आत्मसमर्पण न कर दें, पकड़े न जाएं या समाप्त न हो जाएं, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे. इस संकल्प को पूरा करने में हमारे सुरक्षाबलों के त्याग और समर्पण पर पूरे देश को गर्व है.''
आप ये जानकर शायद दंग रह जाएं कि अब देश में सिर्फ 6 जिले नक्सल प्रभावित हैं, जबकि 10 साल पहले इनकी संख्या 124 थी. शाह की शानदार रणनीति की बदौलत सैकड़ों की संख्या में नक्सली सरेंडर भी कर रहे हैं, औऱ जो सरेंडर को तैयार नहीं हैं वो ब्लैक फॉरेस्ट जैसे ऑपरेशन में ढेर हो रहे हैं.
कितना मुश्किल है ऑपरेशन?
बसवाराजू ऊर्फ गगन्ना माओवादियों का लीडर नंबर 1 कहा जाता था, बीते 30 सालों में ये पहला मौका था, जब नक्सलियों के सेक्रेटरी रैंक का कोई व्यक्ति मारा गया हो, इस ऑपरेशन में जवानों ने जैसे नक्सलियों को चकमा दिया, उनके ठिकानों का सटीक लोकेशन पता करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया और फिर उन्हें भागने तक का मौका नहीं दिया, उसके लिए इन्हें सैल्यूट तो बनता है.