CJI गवई की तीखी टिप्पणी, केन्द्र सरकार मेरी बेंच में आने से बचना चाहती है?

Amanat Ansari 04 Nov 2025 12:39: PM 2 Mins
CJI गवई की तीखी टिप्पणी, केन्द्र सरकार मेरी बेंच में आने से बचना चाहती है?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें सुनवाई के बीच में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की बेंच के पास भेजने का अनुरोध किया गया था. यह एक्ट विभिन्न ट्रिब्यूनलों के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए एकसमान सेवा शर्तें निर्धारित करता है. सीजेआई बी आर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ताओं के तर्क सुनने के बाद सुनवाई स्थगित की थी, क्योंकि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भाग लेने के लिए समय मांगा था. लेकिन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के तर्क पूरे होने के बाद केंद्र का यह अनुरोध करना चौंकाने वाला है.

सीजेआई गवई ने कहा, ''हम भारत संघ से ऐसी स्थिति अपनाने और कोर्ट के साथ रणनीति खेलने की उम्मीद नहीं करते.'' वे 20 दिन बाद रिटायर हो रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, ''हमने याचिकाकर्ताओं के वकील... और अन्य को पूरी तरह से गुण-दोष के आधार पर सुना. एजी ने एक बार भी नहीं कहा कि केंद्र पांच जजों की बेंच में रेफर करने का अनुरोध करेगा.'' सीजेआई ने कहा, ''हम इस आवेदन को खारिज करते हैं और टिप्पणी करते हैं कि केंद्र सरकार बेंच से बचने की कोशिश कर रही है (क्योंकि सीजेआई जल्द ही पद छोड़ रहे हैं).''

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि न तो उनकी और न ही सरकार की ऐसी मंशा थी, लेकिन उन्होंने पांच जजों की बेंच में भेजने की मांग स्वीकार की. उनका कहना था कि मामले में संविधान की व्याख्या से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनी सवाल हैं, इसलिए यह संविधान पीठ के लिए उपयुक्त है. लेकिन सीजेआई गवई की बेंच ने सख्ती दिखाई और कहा, ''हमने उम्मीद नहीं की थी कि केंद्र सरकार ऐसी रणनीति अपनाएगी, वह भी सुनवाई से एक रात पहले मध्यरात्रि में आवेदन दाखिल करके. याचिकाकर्ताओं को पूरी तरह सुनने के बाद केंद्र को बड़ी बेंच में भेजने की मांग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.''

सीजेआई गवई ने आगे कहा, ''अगर हम तर्कों पर विचार करने के बाद निष्कर्ष निकालते हैं कि मामला महत्वपूर्ण कानूनी सवालों से जुड़ा है और पांच जजों की बेंच में भेजना जरूरी है, तो हम ऐसा करेंगे.'' बेंच ने एजी को सुना, जिन्होंने ट्रिब्यूनल अध्यक्षों और सदस्यों की सेवा शर्तों में एकरूपता लाने वाले कानून का बचाव किया. सुनवाई को 7 नवंबर तक स्थगित कर दिया गया.

केंद्र के आवेदन में कहा गया था. ''यह मामला संविधान की व्याख्या से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनी सवाल उठाता है, इसलिए इसे संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत कम से कम पांच जजों की बेंच में भेजा जाना चाहिए.'' केंद्र ने सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट के पास भारत संघ या संसद को किसी खास तरीके से कानून बनाने का मैंडेमस जारी करने की शक्ति है, और क्या यह शक्ति शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करेगी, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है? क्या संसद की पूरा कानून बनाने की शक्ति को कोर्ट के पिछले फैसले में दिए गए निर्देशों से सीमित किया जा सकता है?

Supreme Court Tribunal Reforms Act Union government CJI B R Gavai

Recent News