नई दिल्ली: यमन सरकार ने ऐसा दावा किया है, जिसने इजरायल से लेकर अमेरिका तक हड़कंप मचा दिया है. और यह दावा यमनी विद्रोही हूती को लेकर है. यमन के सूचना मंत्री मोअम्मर एरयानी ने कहा कि हूती विद्रोही अब इतना मजबूत हो गया है कि वह युद्ध में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से भी नहीं चुकेगा. क्योंकि इन हथियारों को घातक मिसाइलों और ड्रोन में लगाने की तैयारी चल रही है.
यमन सरकार ने इसमें ईरान का हाथ होने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि ईरान हूति को रासायनिक पदार्थ मुहैया करा रहा है. इन पदार्थों का उपयोग यमन में गुप्त कारखानों में किया जा रहा है, जहां हूती विद्रोही बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोनों को रासायनिक हथियारों से लैस कर रहे हैं. यह स्थिति पूरे खित्ते के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है. एरयानी ने हूती के इस कदम को "मौत की फैक्ट्री" बताया है. उन्होंने कहा, "यह रासायनिक हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय कानूनों, जैसे केमिकल वेपन्स कन्वेंशन और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है." अगर इन हथियारों का इस्तेमाल हुआ, तो पश्चिम एशिया और वैश्विक स्तर पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.
दावा किया जा रहा है कि इस काम में ईरान के कई विशेषज्ञ भी हूती के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ज्ञात रहे कि 2014 में शुरू हुए यमन गृहयुद्ध के दौरान हूती विद्रोही शुरू में सरकारी सेना से जब्त किए गए हथियारों पर निर्भर थे. लेकिन अब उनकी सैन्य क्षमता में भारी बदलाव आया है. वे अब लंबी दूरी के ड्रोन, उन्नत मिसाइलें, और कथित तौर पर रासायनिक हथियार बना रहे हैं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी तकनीक और हथियारों के डिजाइन में ईरान की स्पष्ट छाप है.
हाल ही में यमनी सुरक्षा बलों ने अदन बंदरगाह पर एक तस्करी के प्रयास को नाकाम किया था, जिसमें ड्रोन, जेट प्रणोदन प्रणाली, और हाई-टेक नियंत्रण उपकरण जब्त किए गए थे. अमेरिका ने यमनी बलों द्वारा हथियारों की इस बड़ी खेप को जब्त करने की कार्रवाई की सराहना भी की थी. यमन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद, और रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) से तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है.