नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण रविवार को मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है, सिवाय 13 पुलिस थाना क्षेत्रों के. इस अधिनियम को नगालैंड के आठ जिलों और पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस थाना क्षेत्रों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और नामसाई जिले के कुछ हिस्सों में भी लागू किया गया है.
बता दें कि अफस्पा "अशांत क्षेत्रों" में काम करने वाले सुरक्षा बलों को शक्तियां प्रदान करता है, जिसमें बिना पूर्व स्वीकृति के तलाशी, गिरफ्तारी और बल प्रयोग करने का अधिकार शामिल है. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, यह अधिनियम अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ-साथ असम की सीमा से लगे नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखाम पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू रहेगा.
इन क्षेत्रों को 1 अप्रैल 2025 से AFSPA की धारा 3 के तहत "अशांत" के रूप में वर्गीकृत किया गया है. नागालैंड में, AFSPA को उसी अवधि के लिए आठ जिलों और पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों में बढ़ा दिया गया है. यह निर्णय क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद लिया गया है. मणिपुर में, सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में अभियान तेज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई गिरफ्तारियां हुई हैं और हथियार बरामद हुए हैं.
हाल ही में मणिपुर में तीन उग्रवादियों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें प्रतिबंधित समूह PREPAK (Pro) और KCP के सदस्य शामिल थे. इसके अतिरिक्त, जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों के लिए उग्रवादियों को सिम कार्ड बेचने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था.
13 फरवरी को, राज्य के राज्यपाल की एक रिपोर्ट के बाद मणिपुर को राष्ट्रपति शासन के अधीन कर दिया गया था. पूर्वोत्तर राज्य में पिछले साल 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) द्वारा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में आयोजित एक रैली के दौरान हिंसक झड़पें हुई थीं.