पटना: बिहार के पटना में एक हैरान करने वाला मेडिकल केस सामने आया है, जहां एक मरीज की आंख से दांत निकलने की घटना ने चिकित्सा जगत में सनसनी मचा दी है. यह मामला इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS) में सामने आया, जहां डॉक्टरों ने एक मरीज की आंख के पास दांत की मौजूदगी का पता लगाया. इस दुर्लभ स्थिति ने न केवल मरीज को परेशान किया, बल्कि चिकित्सकों को भी आश्चर्य में डाल दिया.
दरअसल, एक मरीज ने लगातार आंख में दर्द और सूजन की शिकायत के साथ IGIMS में संपर्क किया. डॉक्टरों ने मरीज की जांच के लिए CBCT (Cone Beam Computed Tomography) स्कैन कराया. स्कैन की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि मरीज की दाहिनी आंख के नीचे 'फ्लोर ऑफ द ऑर्बिट' में एक दांत विकसित हो गया था. इस असामान्य स्थिति को देखकर डॉक्टर भी हैरत में पड़ गए.
IGIMS के ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. निम्मी सिंह के अनुसार, यह एक 'डेवलपमेंटल एनोमली' (विकासगत विसंगति) है. इसका मतलब है कि गर्भावस्था के दौरान दांत बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण दांत की कोशिकाएं गलत जगह पर विकसित हो गईं. इस मरीज के मामले में दांत का जड़ वाला हिस्सा आंख के नीचे और इसका क्राउन हिस्सा मैक्सिलरी साइनस में था. शरीर ने इसे एक विदेशी वस्तु मानकर इसके चारों ओर एक सिस्ट बना लिया, जिससे चेहरे पर सूजन और हड्डी को नुकसान होने की समस्या पैदा हो गई थी.
डॉक्टरों के अनुसार, यह स्थिति बेहद दुर्लभ है और भारत में अब तक केवल एक ही ऐसा मामला दर्ज किया गया है. सामान्यतः दांत केवल मुंह में ही विकसित होते हैं, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में दांत का उगना एक असाधारण मेडिकल स्थिति मानी जाती है. यह समस्या अक्सर बचपन या किशोरावस्था में सामने आती है, लेकिन कई बार वयस्कता में भी पता चलती है.
इस स्थिति से मरीज की आंख की रोशनी को खतरा हो सकता था. लगातार दर्द, सूजन, और आंख के नाजुक हिस्सों को नुकसान की आशंका थी. हालांकि, 11 अगस्त को IGIMS के डॉक्टरों की टीम ने जटिल सर्जरी कर इस दांत को सफलतापूर्वक निकाल लिया. मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी आंखों की रोशनी भी सामान्य है.
यह मामला मानव शरीर की जटिलता और चिकित्सा विज्ञान की अनोखी संभावनाओं को दर्शाता है. IGIMS के डॉक्टरों की इस सफल सर्जरी ने न केवल मरीज को राहत दी, बल्कि मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले भविष्य में और गहन शोध की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.