नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा कि पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है. उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने पहले कहा था, युद्ध में कोई उप विजेता नहीं होता. ऑपरेशन सिंदूर, जो अभी भी चल रहा है, इसका उदाहरण है. हमारी तैयारियों का स्तर 24 घंटे, साल के 365 दिन बहुत ऊंचा होना चाहिए.
सुब्रोतो पार्क में आयोजित एक रक्षा सेमिनार को संबोधित करते हुए CDS चौहान ने कहा कि भविष्य में सेना को "सूचना योद्धाओं, प्रौद्योगिकी योद्धाओं और विद्वान योद्धाओं" की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि युद्ध के बदलते परिदृश्य में भविष्य का सैनिक इन तीनों- सूचना, प्रौद्योगिकी और विद्वान योद्धा- का मिश्रण होगा. यह सेमिनार 'एयरोस्पेस पावर: भारत की संप्रभुता की रक्षा और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा' विषय पर 'नंबर 4 वारफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रैटेजी प्रोग्राम' के तहत आयोजित किया गया था.
CDS ने जोर देकर कहा कि युद्ध में कोई उपविजेता नहीं होता, और किसी भी सेना को हमेशा सतर्क रहना होगा और उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों को बनाए रखना होगा. उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर इसका उदाहरण है, जो अभी भी जारी है. हमारी तैयारियों का स्तर 24x7, 365 दिन बहुत ऊंचा होना चाहिए."
राजस्थान में वायुसेना का बड़ा अभ्यास
CDS चौहान की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय वायुसेना (IAF) राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में बड़े पैमाने पर हवाई अभ्यास कर रही है. यह अभ्यास वायुसेना की परिचालन तैयारियों और रणनीतिक क्षमताओं को परखने के लिए है.
यह तीन दिवसीय अभ्यास बुधवार से शुरू हुआ और शुक्रवार तक चला. यह जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर में आयोजित किया जा रहा है, जो सभी भारत-पाकिस्तान सीमा के पास हैं. इस क्षेत्र में नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी किया गया है, जिसके तहत जैसलमेर और जोधपुर के बीच नागरिक हवाई यातायात को प्रतिबंधित किया गया है ताकि सैन्य अभियान बिना किसी व्यवधान के चल सकें.
राफेल, सुखोई-30 MKI, मिराज 2000 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान दिन-रात उड़ान भर रहे हैं, हवाई लक्ष्यों पर निशाना साध रहे हैं और जमीनी हमलों का अनुकरण कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों ने खासकर रात के अभ्यास के दौरान लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनने की बात कही है. सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास जोधपुर और उत्तरलाई (बाड़मेर) के प्रमुख हवाई अड्डों से समन्वित है, जिसमें जैसलमेर के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है. NOTAM के तहत प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र में वायुसेना ड्रोन, मिसाइल और अन्य हवाई प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही है, जिससे यथार्थवादी और उच्च जोखिम वाले प्रशिक्षण परिदृश्य संभव हो रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
भारत का ऑपरेशन सिंदूर, जो 7 मई को आधी रात के बाद शुरू हुआ, सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अब तक का सबसे सशक्त सैन्य जवाब था. पहलगाम नरसंहार, जिसमें पर्यटकों को क्रूर तरीके से निशाना बनाकर मार डाला गया था, के जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर अंदर तक समन्वित हमले किए और आतंकी ढांचों को निशाना बनाया. भारत ने स्टैंड-ऑफ हथियारों का उपयोग किया, जिसमें हवा से लॉन्च की गई क्रूज मिसाइलें, लॉइटरिंग म्यूनिशन्स और लंबी दूरी के ड्रोन शामिल थे. इनके जरिए पाकिस्तान में नौ स्थानों पर हमले किए गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के प्रतीकात्मक और परिचालन केंद्र मुरिदके और बहावलपुर शामिल थे.