केंद्र सरकार ने विवादित आईएएस पूजा खेडकर को किया बर्खास्त

Global Bharat 07 Sep 2024 09:08: PM 2 Mins
केंद्र सरकार ने विवादित आईएएस पूजा खेडकर को किया बर्खास्त

केंद्र सरकार ने शनिवार को ट्रेनी IAS पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया और भारतीय प्रशासनिक सेवा () पद से मुक्त कर दिया. केंद्र सरकार द्वारा यह कदम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करने के कुछ सप्ताह बाद उठाया गया है. पूजा खेडकर को IAS (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर दिया गया है. IAS (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 में किसी प्रोबेशनर को सेवा में भर्ती होने के लिए अयोग्य पाए जाने के आधार पर सेवा से मुक्त करने का प्रावधान है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा में ओबीसी और पीडब्ल्यूडी की अपनी दावा की गई श्रेणी की तुलना में अधिक प्रयासों का लाभ उठाया था और अपने चयन के वर्ष 2022 से पहले उस सीमा को समाप्त कर दिया था. 31 जुलाई को, UPSC ने एक प्रेस बयान के माध्यम से कहा कि उसने पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी को रद्द करने का निर्णय लिया है, जो धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों का सामना कर रही थी.

इससे पहले UPSC ने पूजा खेडकर को नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं और चयनों से वंचित कर दिया. UPSC ने कहा कि उसने पूजा खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और न्याय विभाग ने उन्हें 30 जुलाई, 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया, ताकि वे कारण बताओ नोटिस का जवाब दे सकें.

पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने अगस्त में दिल्ली उच्च न्यायालय में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली पुलिस ने एक ताजा स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि निलंबित प्रशिक्षु IAS पूजा खेडकर ने दो विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं, जिसमें से एक के जाली होने का संदेह है.

धोखाधड़ी और ओबीसी तथा विकलांगता कोटा लाभ अनुचित तरीके से हासिल करने के आरोपों का सामना कर रही पूजा खेडकर ने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय को दिए अपने जवाब में कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास उन्हें अयोग्य घोषित करने का अधिकार नहीं है. UPSC ने तर्क दिया था कि पूजा खेडकर एक "मास्टरमाइंड" हैं और दूसरों की सहायता के बिना उनकी हरकतें संभव नहीं थीं. यह तर्क उनकी इस स्थिति का समर्थन करता है कि हिरासत में पूछताछ आवश्यक है.

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