पटना: बिहार की राजधानी पटना में अपराध की बढ़ती घटनाओं ने कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में पारस हॉस्पिटल में दिनदहाड़े चंदन मिश्रा की हत्या ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है. इस बीच, बिहार पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) कुंदन कृष्णन के एक विवादित बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि अप्रैल, मई और जून में किसानों के पास काम नहीं होने के कारण अपराध की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस बयान पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे "अन्नदाताओं का अपमान" करार देते हुए नीतीश कुमार सरकार को कठघरे में खड़ा किया.
हॉस्पिटल हत्याकांड और अपराध की लहर
पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र में स्थित पारस हॉस्पिटल में गुरुवार को पांच हथियारबंद अपराधियों ने घुसकर चंदन मिश्रा, एक कुख्यात अपराधी, की गोली मारकर हत्या कर दी. मिश्रा मेडिकल आधार पर पैरोल पर था, और पुलिस इसे गैंग वार से जोड़कर देख रही है. यह घटना पिछले 14 दिनों में पटना में हुई 10 हत्याओं की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें कारोबारी गोपाल खेमका, वकील जितेंद्र महतो और पूर्व भाजपा नेता सुरेंद्र केवल की हत्याएं शामिल हैं. इन घटनाओं ने बिहार में अपराधियों के बढ़ते हौसले और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर किया है.
चिराग पासवान का तीखा हमला
केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने बिहार की कानून-व्यवस्था को "गंभीर चिंता का विषय" बताते हुए नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने X पर लिखा, "प्रतिदिन हत्याएं हो रही हैं, अपराधियों का मनोबल आसमान छू रहा है. पारस हॉस्पिटल में घुसकर की गई हत्या इस बात का सबूत है कि अपराधी अब खुलेआम कानून को चुनौती दे रहे हैं."
चिराग ने ADG कुंदन कृष्णन के बयान को "निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया, जिसमें उन्होंने अपराधों का ठीकरा किसानों पर फोड़ा था. चिराग ने कहा, "हमारे अन्नदाता किसानों को हत्यारा कहना उनके सम्मान और त्याग का अपमान है. यह बयान प्रशासन की जिम्मेदारी से भागने की कोशिश है. एक भी आपराधिक घटना हो, तो सरकार और पुलिस को जवाबदेही लेनी होगी." उन्होंने नीतीश सरकार से मांग की कि वह बिहार की जनता में सुरक्षा का भाव बहाल करे. चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का दायित्व है, और इसे केंद्र सरकार पर थोपना उचित नहीं है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विकसित बनाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह नीतीश सरकार की है."
ADG का विवादित बयान और माफी
ADG कुंदन कृष्णन ने अपने बयान में कहा था, "अप्रैल, मई और जून में हत्याएं बढ़ जाती हैं, क्योंकि इस दौरान किसान खाली रहते हैं. बारिश शुरू होने पर अपराध कम हो जाते हैं." इस बयान ने न केवल विपक्ष, बल्कि NDA के सहयोगी दलों में भी आक्रोश पैदा किया. विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा, "अगर ADG ने यह बयान पहले दिया होता, तो लोग बिहार से जान बचाकर भाग गए होते." वहीं, जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने कहा, "अगर ADG को जींस-शर्ट वाले अपराधी किसान दिखते हैं, तो उन्हें अपनी आंखों का इलाज करवाना चाहिए."
विवाद बढ़ने के बाद, ADG कुंदन कृष्णन ने सफाई दी और माफी मांगी. उन्होंने कहा, "मेरा इरादा किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था. मैं खुद किसान समुदाय से हूं और उनका सम्मान करता हूं." उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में हत्या, डकैती और लूट की घटनाओं में कमी आई है, और मई-जुलाई में होने वाली हत्याएं ज्यादातर आपसी विवादों के कारण होती हैं.
सियासी तूफान और विधानसभा चुनाव
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले अपराध की घटनाएं नीतीश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं. चिराग पासवान, जो अपनी पार्टी को "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" के नारे के साथ 243 सीटों पर चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं, ने बार-बार नीतीश सरकार की कमियों को उजागर किया है. उनके बयानों ने NDA गठबंधन में भी तनाव पैदा किया है, क्योंकि जदयू के नेताओं ने चिराग पर "गठबंधन धर्म" का पालन न करने का आरोप लगाया है. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा, "दुनियाभर में कहां अपराध नहीं होता? नीतीश सरकार हर घटना पर तुरंत कार्रवाई करती है."
वहीं, राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने चिराग के बयान का समर्थन करते हुए कहा, "चिराग पासवान जो कह रहे हैं, वह सच है. बिहार में हर दिन हत्याएं हो रही हैं." बता दें कि पटना में पिछले 14 दिनों में 10 हत्याओं ने पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में गिरफ्तारी की दर 38-40% है, जो राष्ट्रीय औसत 45% से कम है. 2023 में पुलिस हेल्पलाइन पर 2.5 लाख कॉल दर्ज हुईं, लेकिन 30% मामलों में समय पर कार्रवाई नहीं हुई. पुलिस बल की कमी भी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि 2.29 लाख स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 1.10 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं.