14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका और आबकारी नीति मामले के संबंध में (Delhi Excise Policy Case) जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा. केजरीवाल की याचिका पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ सुनवाई करेगी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था और उन्हें निचली अदालत से जमानत मांगने की सलाह दी थी.
केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनके पद का सम्मान करते हुए, पुलिस ने घबराहट और सावधानी के साथ कदम उठाया और आरोपी होने के संदेह वाले अन्य व्यक्तियों से सबूत एकत्र करना शुरू किया. नतीजतन, कई व्यक्तियों से जुड़ी साजिश के पूरे जाल का पता लगाने के लिए पूरे भारत में व्यापक जांच की गई.
दरअसल, दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल (आम आदमी पार्टी) Aam Aadmi Party के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण और बाहरी कारणों से घोर उत्पीड़न और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. केजरीवाल को 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी थी. इससे पहले, उन्हें 20 जून को ट्रायल कोर्ट ने नियमित जमानत दी थी.
सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने CBI को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े कथित आबकारी घोटाले मामले में व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी हासिल करने के लिए 15 अतिरिक्त दिन दिए थे. विशेष अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ CBI के आरोपपत्र के संज्ञान पर सुनवाई 27 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.
विशेष सरकारी अभियोजक द्वारा अदालत को सूचित किए जाने के बाद स्थगन दिया गया कि CBI को आरोपपत्र में नामित कुछ आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से आवश्यक मंजूरी मिलने की उम्मीद है. CBI ने 28 जुलाई को कथित आबकारी घोटाले में अपना अंतिम और पांचवां आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें केजरीवाल को इस योजना के पीछे कथित मास्टरमाइंड के रूप में बताया गया था.