Bahraich Violence: डबडबडाई आंखें, बिलखती मां और पल्लू से चेहरा छिपाए 23 साल की महिला योगी से मिली तो क्या हुआ?

Abhishek Chaturvedi 15 Oct 2024 02:40: PM 3 Mins
Bahraich Violence: डबडबडाई आंखें, बिलखती मां और पल्लू से चेहरा छिपाए 23 साल की महिला योगी से मिली तो क्या हुआ?

जब योगी के पास बहराइच की साजिश वाली फाइल पहुंची तो पहले उलट-पलटकर देखा, और फिर जो फैसला सुनाया, उसने बहराइच की घटना के आरोपी सलमान से लेकर अब्दुल हमीद तक के होश उड़ा दिए हैं, जो फरार हैं, उन्हें इस बात का डर सताने वाला है कि कभी भी मंगेश यादव वाला हाल हो सकता है, जबकि जो पुलिस कस्टडी में हैं, उन्हें जान का डर सताने लगा है, योगी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात करके साफ कर दिया है कि रामगोपाल मिश्रा सरकार की नजर में पीड़ित है, ये जो तस्वीरें देख रहे हैं, इसमें सीएम योगी के सामने 5 और लोग बैठे हैं. जिसमें एक हैं रामगोपाल मिश्रा के पिता कैलाशनाथ मिश्रा, जो योगी के सामने हाथ जोड़ते हैं, गले में लटके गमछे से कभी आंसू पोंछते हैं तो कभी उसे ठीक से कंधे पर रखते हैं.

उनके बगल में बैठी हैं उनकी बहू रोली मिश्रा, जिसकी तीन महीने पहले ही शादी हुई थी, वो सीएम योगी से कह रही है हमें बदला चाहिए, इनके अलावा योगी के सामने बैठी है बूढ़ी मां मुन्नी देवी, जो अपने बेटे के गम में डूबी हैं, उनकी जुबान से कोई मांग नहीं निकलती, बल्कि पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा है, बातचीत क्या होती है, इसकी जानकारी सामने नहीं आती, मुख्यमंत्री की मीटिंग का ऑडियो सामने नहीं आता, लेकिन जो तस्वीरें आती हैं, उसे देखकर दो बातें साफ समझ आती है, पहली ये कि योगी पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और दूसरे ये कि आरोपियों को अब कोई नहीं बचा पाएगा, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलेगी. योगी ने ये साफ कर दिया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है वो बहराइच में नहीं होने दिया जाएगा, बहराइच में जैसे मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन यात्रा के दौरान घटना हुई, पहले रामगोपाल मिश्रा के साथ गलत हुआ, उसके बाद प्रतिमा पर पत्थर फेंके जाने की बात सामने आई, उसे सुनकर योगी बहुत दुखी हैं, लेकिन सियासत करने वाले इस बात को नहीं समझ सकते.

अखिलेश यादव ये तक कहते हैं कि डीजे पर विवादित गाना बजाया इसलिए रामगोपाल का ये हाल हुआ, अगर रामगोपाल मिश्रा की बजाय यादव होता तो शायद अखिलेश ये बात नहीं कहते और रामगोपाल की जगह कोई सलमान होता तो शायद फैक्ट चेकर जुबैर भी ये बात नहीं लिखता कि हरा झंडा उतारा इसलिए रामगोपाल के साथ लोगों ने गुस्से में ऐसा किया. यानि आम जनता की जान की कीमत पर सियासत की पराकाष्ठा सारी हदें पार कर चुकी है, लेकिन योगी की आंखें अपराधी के भीतर जाति नहीं अपराध देखती है, वो विकास दूबे पर शिकंजा कसवाते हैं, तो ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता है, लेकिन उस घटना 4 साल बाद जब योगी रामगोपाल मिश्रा के परिवार से मिलते हैं, तो लोग कहते हैं योगी का नजरिया एक संत वाला है, ना कि अखिलेश की तरह सियासतदान वाला, इसीलिए वो घटना के 4 घंटे के भीतर पहले ट्वीट कर कार्रवाई का आदेश देते हैं, एसटीएफ चीफ अमिताभ यश को खुद वहां भेजते हैं, उसके बाद लखनऊ से एक-एक रिपोर्ट की निगरानी करते हैं, 48 घंटे के भीतर रामगोपाल मिश्रा के परिवार को लखनऊ बुलाकर मुलाकात करते हैं और सीधा संदेश देते हैं जो सनातन पर वार करेगा, कानून व्यवस्था को चुनौती देगा, पूजा-पाठ में बाधा उत्पन्न करेगा और उत्तर प्रदेश की धरती पर बैठकर षडयंत्र रचेगा, उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

योगी की इस तस्वीर के सामने आने के बाद कुछ लोग अखिलेश की वो तस्वीर भी वायरल कर रहे हैं, जिसमें वो मंगेश यादव के परिवार से मिलते दिख रहे थे, दोनों तस्वीरों को दिखाकर लोग कह रहे हैं यही योगी और अखिलेश में फर्क है, पर सवाल है कि इंसाफ कब मिलेगा, पीड़ित परिवार योगी से मिलकर संतुष्ट तो है, हो सकता है उसे आर्थिक मदद भी मिल जाए, लेकिन एक बूढ़ी मां, एक नवविवाहित महिला और बुढ़ापे का सहारा खो चुके पिता को इंसाफ कब मिलेगा, ये सवाल पूरा उत्तर प्रदेश और देश पूछ रहा है. 

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