सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पतंजिल भ्रामक विज्ञापन मामले पर फिर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि योग गुरु रामदेव का बहुत प्रभाव है और उन्हें इसका इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए. सुनवाई की शुरुआत में, वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ को बताया कि पतंजलि ने उन टीवी चैनलों को लिखा है जहां उनके विज्ञापन अभी भी चल रहे हैं.
यही नहीं उन्होंने विवादित उत्पादों की बिक्री भी बंद कर दी है. इसके बाद अदालत ने पतंजलि को इन उत्पादों के स्टॉक के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा. अदालत ने फिलहाल के लिए रामदेव और बालकृष्ण की अदालत में उपस्थिति से छूट देने के उनके अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया है.
जजों की बेंच ने कहा कि बाबा रामदेव का बहुत प्रभाव है, इसका इस्तेमाल सही तरीके से करें. जब सरकारी वकील तुषार मेहता ने बताया कि रामदेव ने योग के लिए बहुत अच्छा काम किया है, तो जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि उन्होंने योग के लिए जो किया है वो अच्छा है, लेकिन पतंजलि के उत्पाद का मामला अलग है. अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी. अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला जनता को सही जानकारी देने के बारे में है. जजों ने कहा कि लोग समझदार होते हैं, अगर उनके पास विकल्प होते हैं, तो वे सही जानकारी के साथ चुनाव करते हैं.
दरअसल, यह मामला भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा पतंजलि और उसके संस्थापकों के खिलाफ दायर एक याचिका से जुड़ा है. याचिका में आरोप है कि पतंजलि के विज्ञापन भ्रामक हैं और ये दावा करते हैं कि उनकी दवाएं उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों को ठीक कर सकती हैं. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पतंजलि को चेतावनी दी थी. जब विज्ञापन बंद नहीं हुए, तो अदालत ने अवमानना नोटिस जारी किया और पतंजलि के प्रचारकों पर सख्ती से कार्रवाई की.