नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि आज की तारीख में पाकिस्तान से ज्यादा एंटी-इंडिया कंटेट बांग्लादेश में बन रहे हैं. जी हां, वहीं बांग्लादेश जो हमसे सबसे बड़ा इंटरनेशनल बार्डर शेयर करता है. लगभग 4 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा. वहीं बांग्लादेश जो फिलहाल हिन्दुओं की कब्रगाह बना हुआ है. शेख हसीना के हटने के बाद से वहां के हालात बद से बदत्तर होते चले जा रहे हैं. अब तक हमने बांग्लादेश के अंदर तनाव देखा था, लेकिन अब भारत के साथ सीमा पर भी विवाद की स्थिति पैदा की जा रही है.
हैरानी की बात ये है कि इस सीमा विवाद को लेकर बांग्लादेश भारत के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने में भी लगा हुआ है. घटना त्रिपुरा बार्डर पर हुई है, जहां BSF के जवानों के साथ कुछ ऐसा हुआ कि हड़कंप मच गया. BSF की तरफ से बताया गया है कि शुक्रवार देर शाम कलमचौरा पुलिस थाने के अंतर्गत पुटिया में 20 से 25 बांग्लादेशी तस्करों का एक ग्रुप भारतीय क्षेत्र में घुस आया और अपने कई भारतीय मददगारों से मिला.
जब इन तस्करों की असलियत सामने आई, तो उन्होंने BSF के जवानों पर ही हमला कर दिया. इस घटना में BSF का एक जवान घायल भी हो गया. वहीं BSF जवानों पर हमले के दौरान जब तस्करों ने हथियार छीनने की कोशिश की, तो एक जवान ने आत्मरक्षा के लिए गोली चलाई. इस जवाबी कार्रवाई में एक तस्कर की भी मौत हो गई.
ये बात BSF की तरफ से कही गई है, लेकिन इसी घटना को बांग्लादेश में किस तरह पेश किया जा रहा है, अब ये भी देखिए. भारत में जिस तरह BSF है, बांग्लादेश में उसी तरह BGB यानी बार्डर गार्ड्स ऑफ बांग्लादेश है. इन लोगों का काम होना चाहिए था कि ये लोग भारत की तरफ आने वाले तस्करों को रोंके, लेकिन इस काम ये पूरी तरफ फेल हो गए. नतीजा ये रहा कि BSF के जवानों पर बांग्लादेशी स्मगलर गैंग ने हमला कर दिया, जिसमें एक तस्कर मारा गया. इस बात पर BGB चीफ मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी उल्टा भारत को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि अगर इस तरह बार्डर पर लोगों को मारा जाता रहा, तो बांग्लादेश इसे लेकर सख्त कार्रवाई करेगा.
दूसरी तरफ बांग्लादेशी मीडिया भी उल्टी गंगा बहाना शुरू करती है और कहती है कि बार्डर पर एक बांग्लादेशी शख्स टहल रहा था, और BSF ने उस पर गोलियां चला दीं, जिसमें 32 साल का अल-अमीन घायल हो गया, BSF उसे अपनी सीमा में लेकर गई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई. अब इस मीडिया रिपोर्टिंग से ही समझ लीजिए कि लोगों को किस तरह भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है.
मामला क्या है, बताया क्या जा रहा है. इसे भारत के खिलाफ एक नेरेटिव चलाना न कहा जाए तो क्या कहा जाए, जबकि सच सबके सामने है. तमाम सोर्सेज से ये बात कंफर्म हो चुकी है. BSF ने खुद इसका खुलासा किया है कि 20-25 बांग्लादेशी तस्कर भारत में घुस आए थे. BSF को देखकर ये लोग भागे नहीं, बल्कि हमला कर दिया, जिसमें BSF का जवान भी घायल हुआ, लेकिन बांग्लादेशी मीडिया कुछ और ही खिचड़ी पका रहा है.
हालांकि इसमें कुछ गलती हमारी भी है. लगभग 4096 किलोमीटर की सीमा में 800 किलोमीटर के करीब बॉर्डर फ़ेंसिंग नहीं है, ऐसे में तस्करों को मौका मिलता है. वो भारत में स्मगलिंग की फिराक में हर दम बैठे रहते हैं. खास तौर पर बिना फ़ेंसिंग वाले बार्डर पर BSF के जवान चौबीसों घंटे निगरानी करते हैं, ताकि तस्करों और घुसपैठियों को समय रहते दबोचा जा सके. फिर भी कहीं न कहीं से ये लोग घुसने में कामयाब होते हैं, फिर झड़पें होती हैं. और नतीजा अच्छा नहीं होता, जैसा कि शुक्रवार शाम को हुआ.
वो कहावत है न कोढ़ में खाज होना. बांग्लादेश का हाल भी ऐसा ही है, वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया ऐसी घटनाओं को भी अवसर की तरह देखते हैं. उनके देश की मीडिया फिर प्रॉपगैंडा फैलाने में लग जाती है. बहरहाल, उस बांग्लादेश से क्या ही उम्मीद की जा सकती है, जो अपने इतिहास को ही मिटा देने पर तुला है, जो अपने देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को किताबों से हटा रहा है. वो अगर बांग्लादेश की आजादी में भारत के योगदान को भुला दे तो क्या ही हैरानी जताई जाए.
1971 वॉर के असल सच को छुपाने में जुटा बांग्लादेश नए कल्पनिक इतिहास को नई पीढ़ी के दिमाग में घुसाने में लगा हुआ है और ये नई कल्पना पूरी तरह से भारत विरोधी भी है. सोचिए, आज से 20-30 साल बाद जब नई पीढ़ी बांग्लादेश की आजादी का नया इतिहास पढ़कर निकलेगी, तो क्या उसे ये पता होगा कि कैसे भारत ने पाकिस्तान के साथ लड़कर बांग्लादेशियों को आजादी से सांस लेने का मौका दिलवाया.
बांग्लादेश की इस घिनौनी हरकत को जानकर आप भी कहेंगे कि अब तक हम किसे ही अपना दोस्त समझकर मदद कर रहे थे. बांग्लादेश ने अपने यहां किताबों में भूटान को पहला देश बताया है, जिसने बांग्लादेश को सबसे पहले स्वतंत्र देश की मान्यता दी, जबकि ये हर कोई जानता है कि भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेश में हराया, बल्कि उसे सरेंडर करने पर मजबूर भी किया.
भारत ने ही बांग्लादेश को पहली बार स्वतंत्र देश की मान्यता भी दी. और बाकी देशों से भी बांग्लादेश को एक आजाद देश के रूप में पहचान देने का काम करवाया, लेकिन अब इस फैक्ट को ही गायब कर दिया गया है. भारत की जगह भूटान को रख दिया गया है. कल को कुछ और भी बदल दिया जाएगा. और यहीं सबसे बड़ा संकट है. बांग्लादेश की मौजूदा सरकार का दोगलापन ये भी है कि एक तरफ ये पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस बुलाने में लगे हुए हैं. तो दूसरी तरफ उनके कार्यकाल को किताबों से पूरी तरह गायब भी कर दिया है.
उनका नाम, फोटो पूरी तरह से स्कूली किताबों से गायब कर दिया गया है. यानी बांग्लादेश की नई पीढ़ी शेख हसीना को बतौर प्रधानमंत्री कभी पढ़ ही नहीं पाएगी. शायद वहां की सरकार शेख हसीना को एक विलेन बना दे. शायद क्या, ऐसा हो ही रहा है. अब आप ही सोचिए हमारे पड़ोसी मुल्क में आखिर चल क्या रहा है. बांग्लादेश की मीडिया और वहां की सरकार नई पीढ़ी के दिमाग में जहर घोलकर भविष्य की मुश्किलों को खड़ा कर रही है. हालात ऐसे बन रहे हैं कि हमें पाकिस्तान से ज्यादा बांग्लादेश से सावधान रहने की जरूरत है.