क्या 6 महीने के भीतर मोदी सरकार गिरने वाली है? ये रिपोर्ट डराने वाली नहीं, आगाह करने वाली है!

Global Bharat 29 Aug 2024 05:25: PM 3 Mins
क्या 6 महीने के भीतर मोदी सरकार गिरने वाली है? ये रिपोर्ट डराने वाली नहीं, आगाह करने वाली है!

हिंदुस्तान को बांग्लादेश बनाने की तैयारी है, ये बातें हवा में अगर लगती हैं तो कुछ सबूत देखिए, 7 सबूतों में हिंदुस्तान के सियासत में आने वाले बदलाव की पूरी कहानी छिपी है. और इन सबूतों का एक दूसरे से कनेक्शन कैसे है, वो आपको समझाएं उससे पहले इस वीडियो में राहुल गांधी का बयान सुन लीजिए, जो बात-बात पर आजकल कहने लगे हैं देश को नया पीएम मिल जाएगा.

अब राहुल किस कॉन्फिडेंस से ये बात कह रहे हैं, इसे समझना बेहद जरूरी है, जब हमने वैश्विक नेताओं के भारत दौरे और विपक्षी नेताओं की मुलाकात को लेकर रिसर्च की और उसे बांग्लादेश के हालात से जोड़कर देखने की कोशिश की तो नतीजे डराने से ज्यादा आगाह करने वाले लगे, इसलिए हमने सोचा ये रिपोर्ट पूरे देश को पता चलनी चाहिए. 

तस्वीर नंबर 1- हाल ही में अमेरिकी राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला से श्रीनगर में मुलाकात की, एक पूर्व सीएम से अमेरिका क्यों मिल रहा है? 
तस्वीर नंबर 2- पिछले हफ्ते किसान आंदोलन के नेताओं को अमेरिकी दूतावास में चाय के लिए आमंत्रित किया गया था. ये वही किसान नेता थे जिनसे राहुल संसद में मिले थे. 
तस्वीर नंबर 3- करीब दो हफ्ते पहले एक अमेरिकी महावाणिज्यदूत ने असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी. विपक्षी नेता ओवैसी से मुलाकात का क्या मकसद था? 
तस्वीर नंबर 4- एक महीने पहले कमला हैरिस ने राहुल गांधी से कॉल पर बात की थी. राहुल नेता प्रतिपक्ष हैं, फिर कमला हैरिस से क्या बातचीत की होगी?
तस्वीर नंबर 5- करीब 2 महीने पहले राहुल गांधी ने गुपचुप तरीके से व्हाइट हाउस का दौरा किया था. जिसको लेकर कांग्रेस चुप है. रिपोर्ट ये तक दावा करती है कि राहुल ने डोनाल्ड लू से मुलाकात की थी. 
तस्वीर नंबर 6- अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने मई में बांग्लादेश का दौरा किया और ठीक 2 महीने बाद बांग्लादेश की हालत बिगड़ गई. और अब इसी शख्स को चुनाव के दौरान भारत में देखा गया. मई 2024 में वो भारत दौरे पर आकर बाकी राजनयिक की तरह दिल्ली नहीं जाते, बल्कि चेन्नई जाते हैं, वहां क्या मीटिंग होती है, कोई नहीं जानता. लेकिन उसी दौरान वहां के एक नेता ने तमिलनाडु को अलग देश बनाने की मांग कर डाली थी.

हिंदी में एक कहावत है, जहां-जहां पांव पड़े संतन के, तहां-तहां बंटाधार, डोनाल्ड लू पर ये कहावत सटीक बैठती है, ऐसा कई लोग कहते हैं. तो सवाल है कि क्या भारत में भी कुछ बड़ी प्लानिंग चल रही है. जिसकी ख़बर मोदी तक पहुंच चुकी है, इसीलिए वो लालकिले की प्राचीर से पहली बार कहते हैं कि देश को बाहरी और भीतरी शक्तियों से चुनौतियां हैं.

चौंकाने वाली बात ये है कि शेख हसीना के तख्तापलट से कुछ महीने पहले, कई अमेरिकी अधिकारियों को सरकार विरोधी प्रदर्शनों और विपक्षी नेताओं के साथ देखा गया था. अब भारत में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. क्या अमेरिका बांग्लादेश की तरह ही भारत में भी सत्ता परिवर्तन करने की बेताब योजना बना रहा है और इसमें भारत का विपक्ष शामिल है, अगर नहीं तो फिर हिंदुस्तान की लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं है, और अगर है तो फिर ये पूरे देश के लिए सोचने वाली बात है, हमारी रिपोर्ट का मकसद लोगों को, और सरकार को आगाह करना है, क्योंकि जब बीजेपी के बड़े-बड़े नेता ये कहते हैं कि भारत को बांग्लादेश बनाने की साजिश है, और कई आरोपी अलग-अलग जगहों से पकड़े जाते हैं, तो फिर सवाल गंभीर हो जाता है. उस दौर में जब खुद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के कई राज्यों का माहौल बिगाड़ने की बात करती हैं.

तो फिर सवाल उठते हैं कि क्या विदेशी ताकतें हमारे यहां इस कदर एक्टिव हो चुकी हैं, कि पूरे सिस्टम को हिलाने की हिमाकत कर रही हैं, जिसका जवाब मोदी-शाह की जोड़ी को ही नहीं, बल्कि डोभाल-जयशंकर और देश के समूचे सिस्टम को पुरजोर तरीके से देना होगा. शायद यही वजह है कि आपने बीते दिनों में ये देखा होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की सियासत से ज्यादा विदेश की सियासत में दिलचस्पी ले रहे हैं, शायद उनका मकसद ये है कि जो ताकतें हमारे यहां एक्टिव होने की फिराक में हैं, उनकी कमजोर नसों को दबाया जाए, ताकि उन्हें समझ आए कि भारत कोई बांग्लादेश या पाकिस्तान नहीं है.

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