नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को लेकर खुफिया एजेंसियों ने बड़ा अलर्ट जारी किया है. सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर सेंट्रल जेल और जम्मू की कोट बलवाल जेल जैसे हाई-सिक्योरिटी जेलों पर आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा है. इन जेलों में कई बड़े आतंकवादी और स्लीपर सेल के सदस्य बंद हैं, जो आतंकियों को रसद, शरण और आवाजाही में मदद करते हैं, भले ही वे सीधे हमलों में शामिल न हों. इस खतरे के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है. यह अलर्ट 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच के बीच आया है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.
पहलगाम हमले की जांच और जेलों पर खतरा
पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है. इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया था. एनआईए ने हाल ही में दो आतंकी सहयोगियों, निसार और मुश्ताक, से पूछताछ की, जो पहले एक सेना के वाहन पर हमले में शामिल थे. दोनों कोट बलवाल जेल में बंद हैं. खुफिया सूत्रों ने बताया कि हमले के बाद आतंकी दक्षिण कश्मीर के जंगलों में छिपे हो सकते हैं. इन आतंकियों के पास भोजन और जरूरी सामान है, जिससे वे लंबे समय तक बिना बाहरी मदद के जंगल में रह सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि पहलगाम हमले के दौरान कुछ अतिरिक्त आतंकी पास ही थे, जो सुरक्षा बलों के जवाबी हमले की स्थिति में कवर फायर दे सकते थे.
इन खतरों को देखते हुए जेलों की सुरक्षा की समीक्षा की गई. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक ने 4 मई 2025 को श्रीनगर में सुरक्षा ग्रिड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. सीआईएसएफ ने अक्टूबर 2023 में जम्मू-कश्मीर की जेलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से अपने हाथ में ली थी. इस बैठक में जेलों की सुरक्षा को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई ताकि कोई अप्रिय घटना न हो.
जेलों में बंद आतंकी और सुरक्षा चुनौतियां
श्रीनगर सेंट्रल जेल और कोट बलवाल जेल में कई हाई-प्रोफाइल आतंकी और उनके सहयोगी बंद हैं. कोट बलवाल जेल में 900 से ज्यादा कैदी हैं, जिनमें 579 विचाराधीन, 353 हिरासत में और 67 दोषी हैं. इनमें 17 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. ये कैदी आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने में माहिर हैं, जैसे कि आतंकियों को शरण देना, रसद पहुंचाना और उनकी आवाजाही में मदद करना. खुफिया जानकारी के अनुसार, आतंकी इन कैदियों को छुड़ाने या जेलों में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकते हैं.
पिछले साल दिसंबर 2024 में श्रीनगर सेंट्रल जेल में काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) और स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एसआईए) ने छापेमारी की थी. इस दौरान सिम कार्ड, सेलफोन और अन्य डिजिटल डिवाइस बरामद हुए थे, जो आतंकी गतिविधियों से जुड़े थे. इससे साफ है कि जेलों के अंदर से भी आतंकी नेटवर्क सक्रिय हैं, जो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.