Rahul Gandhi EVM controversy: 7 जून की सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर राहुल गांधी एक ट्वीट करते हैं, जिसका टाइटल था चुनाव कैसे चुराया जाए, यानि चुनाव में धांधली कैसे होती है. उन्होंने अपना लिखा इंडियन एक्सप्रेस का एक आर्टिकल भी शेयर किया था. वो 5 प्वाइंट में देश के सिस्टम और चुनाव आयोग की पोल खोलने का दाव करते हैं. पर उसी के जवाब में बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की वो कॉपी ढूंढ लाते हैं, जिसमें इंदिरा गांधी की ओर से की गई चुनावी धांधली का न सिर्फ जिक्र था, बल्कि हाईकोर्ट ने उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी थी. और ये भारतीय राजनीतिक इतिहास में सबसे चौंकाने वाला फैसला था. ये उसी फैसले की कॉपी है. आम तौर पर फैसले में दोनों पक्षों की दलीलों का जिक्र होता है, और इस फैसले में उन दलीलों का जिक्र है, जो इंदिरा गांधी के विरोधी राजनारायण ने किया था, इसमें लिखा है
इसी को शेयर कर निशिकांत दूबे लिखते हैं चुनाव की लूट की छूट अब नहीं मिलेगी, आपकी दादी के राज में पैसे अंधाधूंध बंटे, सरकारी कर्मचारी तक चुनाव प्रचार में जुटे. गाड़ियों से वोटर लगाए गए, लोगों में गाड़ी तक बंटी, और आप अब चुनाव पर सवाल उठा रहे हैं. हालांकि निशिकांत दूबे ये दावा करते हैं कि ये इलाहाबाद हाईकोर्ट का जजमेंट है, जिससे कई यूजर सहमत नहीं नजर आते, प्रताप नाम के यूजर ने लिखा है ये ये राजनारायण के आरोप हैं, जज का फैसला नहीं.
पर ये सच है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ 12 जून को फैसला सुनाया और 25 जून को इंदिरा गांधी ने देशभर में इमरजेंसी लगा दी थी. कहा जाता है साल 1971 में इंदिरा गांधी जब रायबरेली से चुनाव जीतीं तो उनके विरोधी राजनारायण ने इसे अदालत में चुनौती दी, करीब 4 साल की कानूनी लड़ाई के बाद एक वक्त आया, जब इंदिरा गांधी अदालत में 5 घंटे खड़ी रहीं, तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसा फैसला आ सकता है, पर जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने पूरी सुनवाई के बाद ये पाया कि इंदिरा गांधी ने सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया, नतीजा 6 साल के लिए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया, रायबरेली के चुनाव को रद्द कर दिया, जिससे पूरे देश की सियासत में हड़कंप मच गया.
ऐसे में यहां ये समझना भी जरूरी हो जाता है कि जिन राहुल गांधी की दादी चुनाव लड़ने के मामले में खुद ही दोषी पाईं गईं हो, उनके पोते अब भारत में चुनावी प्रक्रिया पर कौन से सवाल उठाए हैं. ये राहुल गांधी की ओर से लिखे गए 5 प्वाइंट हैं. जिसे उन्होंने चुनाव प्रभावित करने के 5 चरण के रूप में बताया है.
राहुल गांधी दावा करते हैं कि महाराष्ट्र चुनाव में फिक्सिंग हुई है. यह समझना मुश्किल नहीं है कि महाराष्ट्र में बीजेपी इतनी बेताब क्यों थी, लेकिन धांधली करना मैच-फिक्सिंग जैसा है जो टीम धोखा देती है वो भले खेल जीत जाए, मगर इससे संस्थाओं को नुकसान पहुंचता है और जनता का नतीजों से भरोसा उठ जाता है. हालांकि राहुल के इस आर्टिकल पर शाइनिंग स्टार नाम की यूजर लिखती हैं कि क्या आपके पास इन आरोपों का कोई सबूत है, या फिर एडवांस में माफी मांगने के लिए तैयार हैं ?
राहुल ने राफेल से लेकर ईवीएम तक पर अब तक सवाल उठाए हैं, पर साबित कुछ नहीं हो पाया हो, हो सकता है इस बार उन्होंने जनता को जोड़ने के लिए अखबार में आर्टिकल लिखने का नया तरीका अपनाया हो, पर सवाल है कि अगर राहुल गांधी के आरोप सच्चे हैं तो फिर सबूत अदालत तक क्यों नहीं पहुंचते, जैसे राजनारायण ने उस वक्त अदालत तक सबूत पहुंचाएं और जज साहब ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठीं इंदिरा को दोषी करार दे दिया था. जरा सोचिए और फिर कमेंट में जवाब लिखिए.