माओवादी नेता बासवराजू का खात्मा: 50 घंटे के 'ऑपरेशन कागर' ने कैसे खत्म किया लाल आतंक का युग

Sandeep Kumar Sharma 22 May 2025 09:08: AM 2 Mins
माओवादी नेता बासवराजू का खात्मा: 50 घंटे के 'ऑपरेशन कागर' ने कैसे खत्म किया लाल आतंक का युग

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घने अबुझमाड़ जंगलों में बुधवार को सुरक्षाबलों ने एक बड़े ऑपरेशन में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता नंबाला केशव राव, जिन्हें बासवराजू के नाम से भी जाना जाता था, को मार गिराया. बासवराजू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के महासचिव और सर्वोच्च कमांडर थे. उनके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था. उनकी मौत को माओवादी विद्रोह के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

कौन थे बासवराजू?

1955 में आंध्र प्रदेश के जियन्नापेट गांव में जन्मे केशव राव ने NIT वारंगल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. 1980 के दशक में वे पीपुल्स वॉर ग्रुप में शामिल हो गए. 1987 में उन्हें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग मिली. इसके बाद उन्होंने कई बड़े माओवादी हमलों की योजना बनाई, जिनमें शामिल हैं:

  • 2010 का दंतेवाड़ा नरसंहार: जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए.
  • 2013 का जीरम घाटी हमला: जिसमें 27 लोग मारे गए, जिनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शामिल थे.
  • 2003 का अलीपिरी बम विस्फोट: जिसमें तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर हमला किया गया.
  • 2018 में बासवराजू ने मुप्पाला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह CPI (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला और भूमिगत रहकर माओवादी आंदोलन को नेतृत्व दिया.

ऑपरेशन कागर: कैसे हुआ मिशन कामयाब?

ऑपरेशन कागर की शुरुआत 19 मई को हुई थी. यह ऑपरेशन नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा के त्रि-जंक्शन वाले जंगली इलाके में चलाया गया. इसके लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने मिलकर काम किया.

सुरक्षाबलों ने हफ्तों तक खुफिया जानकारी इकट्ठा की और माओवादी नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी. 50 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में 30 से ज्यादा माओवादी मारे गए. सुरक्षाबलों ने मौके से हथियारों, गोला-बारूद और महत्वपूर्ण दस्तावेजों का जखीरा बरामद किया, जिससे माओवादियों की रणनीति और ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचा.

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, दंडकारण्य विशेष जोनल समिति (DKSZC) और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के कई वरिष्ठ नेता या तो मारे गए या घायल हुए. आसपास के जंगलों में घायल या भाग रहे माओवादियों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है.

सुरक्षाबलों की कीमत

इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को भी नुकसान उठाना पड़ा. मुठभेड़ में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) का एक जवान शहीद हो गया. उनका शव नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया जा रहा है. जटिल जंगली इलाके और माओवादियों के कड़े प्रतिरोध के बावजूद सुरक्षाबलों ने हार नहीं मानी और अबुझमाड़ क्षेत्र में माओवादी गढ़ को तोड़ने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़े.

पीएम मोदी-गृहमंत्री ने क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर इस ऑपरेशन की सफलता के लिए सुरक्षाबलों, खासकर छत्तीसगढ़ पुलिस की DRG इकाई की तारीफ की. प्रधानमंत्री मोदी ने X पर लिखा, "हमें अपने सुरक्षाबलों की इस बड़ी सफलता पर गर्व है. हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और लोगों को शांति व प्रगति का जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है."

अमित शाह ने इसे "राष्ट्रीय गौरव का क्षण" बताते हुए कहा, "नारायणपुर में आज हुए ऑपरेशन में 27 खूंखार माओवादी मारे गए, जिनमें CPI (माओवादी) का महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू भी शामिल है. यह नक्सल आंदोलन की रीढ़ तोड़ने वाला कदम है."

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