अभिषेक चतुर्वेदी
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अचानक से अपनी टीम में तीन खतरनाक अधिकारियों की एंट्री क्यों करवाई? क्या डोभाल कोई ऐसा मिशन शुरू करने वाले हैं, जिसकी ख़बर किसी को नहीं है. डोभाल की टीम में अब एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि, टॉप लेवल के चार अधिकारी हो गए हैं. जिसमें से एक खतरनाक आईपीएस रह चुके हैं. दूसरे वाले इतने बड़े जासूस रहे हैं कि अपने ही कार्यकाल में जासूसों के हेड बन गए थे और तीसरे नंबर वाले साहब का तो नाम भी सुन ले तो आतंकी अपना रास्ता बदल लें. एक-एक कर इन तीनों अधिकारियों के बारे में बताते हैं, फिर बताते हैं डोभाल की इतनी बड़ी प्लानिंग के मायने क्या हैं.
नंबर 1 पर हैं- IPS टीवी रविचंद्रन, 1990 बैच के आईपीएस ऑफिसर रविचंद्रन फिलहाल आईबी के स्पेशल डायरेक्टर के पद पर तैनात थे, तभी ख़बर मिली कि अब आप डिप्टी एनएसए बना दिए गए हैं, दिल्ली आकर कमान संभालिए. इन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे तगड़े ऑपरेशन चलाए हैं, जिससे इन्हें रियल सिंघम कहा जाता है.
नंबर 2 पर हैं- IFS ऑफिसर पवन कपूर, 1990 बैच के ऑफिसर पवन कपूर को जयशंकर की तरह ही विदेश मामलों का जानकार माना जाता है. विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में भी ये काम कर चुके हैं. लंदन में राष्ट्रमंडल सचिवालय में काम करने का अनुभव भी इनके पास है, इसीलिए योग्यता के आधार पर डोभाल की टीम में इन्हें एंट्री मिली है.
नंबर 3 पर हैं- IPS पंकज सिंह, 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज सिंह साल 2022 में बीएसएफ चीफ के पद से रिटायर हुए. BSF में रहते हुए इन्होंने कई ऐसे काम किए, जिसके लिए इनकी खूब तारीफ हुई. अब डोभाल की बगल की कुर्सी पर बैठकर देश की सुरक्षा का प्लान बनाएंगे.
नंबर 4 पर हैं- RAW ऑफिसर राजिंदर खन्ना, 1978 बैच के ऑफिसर राजिंदर खन्ना साल 2014 में मोदी जब पीएम बने थे तो रॉ के हेड थे. इनके दौर में ही पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनी थी. कहते हैं पाकिस्तान औऱ आतंक मामलों के इतने बड़े विशेषज्ञ हैं कि मुश्किल से मुश्किल खुफिया जानकारी ये आसानी से जुटा लेते हैं. इसीलिए इन्हें एडिशनल एनएसए बनाया गया है, जो आतंरिक सुरक्षा मामलों की कमान संभालेंगे.
मतलब अब अजीत डोभाल की टीम में 3 डिप्टी एनएसए और एक एडिशनल एनएसए हो गए हैं. जो सीधा डोभाल को रिपोर्ट करेंगे. 1968 बैच के IPS ऑफिसर अजीत डोभाल को मोदी ने तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है. डोभाल का कार्यकाल मई में ही खत्म हो गया था, लेकिन उन्हें इस बार एक्सटेंशन दिया गया है, जिसके बाद से ही ये कयास लगने लगे थे कि कुछ बड़ा होने वाला है, इस बार मोदी का सबसे बड़ा मिशन पीओके है और देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाली छिटपुट घटनाओं पर शांति पाना भी सबसे बड़ा लक्ष्य होने वाला है. क्योंकि देश की आतंरिक शांति के बिना आप तेजी से विकास की कल्पना नहीं कर सकते.
अमित शाह की शानदार ऱणनीतियों की बदौलत भारत ने नक्सलवाद जैसे बड़े मुद्दे को मिटाने का काम लगभग पूरा कर लिया है और अब डोभाल की स्पेशल 4 वाली टीम किसी बड़े मिशन के लिए पूरी तरह तैयार नजर आने वाली है. क्योंकि कहा जाता है खुफिया जानकारी जुटाना एक दिन का काम नहीं होता.
दुनियाभर में जो हालात आज नजर आ रहे हैं, मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोपियन देशों तक की जो ख़बरें आ रही हैं. उस हिसाब से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी अपने आप में बड़ी हो जाती है औऱ ये बात डोभाल बखूबी समझते हैं. इसलिए अब टीम बड़ी कर ली है और मिशन भी बड़ा पूरा करने वाले हैं.