यूपी के हाथरस की घटना ने सभी को गमगीन कर दिया है. यहां 121 लोगों की मौत होना कई बड़े सवालों के साथ-साथ सत्संग प्रबंधक को भी कटघरे में खड़ करता है. वहीं 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन बाबा की कोई खैर खबर नहीं है. सबसे बड़ी बात तो ये है कि 150 बीघा के खुले मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन बदइतजामी की हद तो देखिए इतना बड़ा पंडाल लगाया लेकिन दरवाजा सिर्फ एक ही बनाया और क्राउड मैनेजमैंट की लापरवाही से इतनी बड़ी संख्या में लोग काल के गाल में समा गए.
बता दें कि मंगलवार को भगदड़ में लोगों को मरता छोड़कर बाबा वहां से भाग गया था. बाबा 15 गाड़ियों के काफिले के साथ मैनपुरी के बिछुआ में अपने आश्रम पहुंचा था और यह आश्रम 21 बीघे में फैला हुआ है. यूपी पुलिस मंगलवार रात मैनपुरी आश्रम पर नारायण साकार हरि की तलाश में पहुंची थी, लेकिन वे नहीं मिले.
डीएसपी सुनील कुमार सिंह के मुताबिक, वहां बाबा नहीं मिला. जानकारी मिली है कि नारायण साकार हरि यहां साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जहां हजारों की सख्या में भीड़ पहुंचती है. फिलहाल बाबा के आश्रम के तीनों गेट बंद कर दिए गए हैं और पुलिसफोर्स तैनात कर दी गई है. आश्रम के बाहर बाबा से जुड़े खास लोगों के नाम और नंबर लिखे हैं. सबसे ऊपर के तीन नाम में विनोद बाबू आनंद, गिरीद्र सिंह, बंशी लाल सुमन का नाम है चौथे नंबर सुरेश चंद्र का नाम हमने लिखा है.
भगदड़ से हुए इस बड़े हादसे के बाद से बाबा भूमिगत हैं. यानी वो कहां हैं, किसी को जानकारी नहीं है. पुलिस भी कुछ नहीं कह पा रही है. मैनपुरी में 'राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट' आश्रम पर पुलिस ने तलाशी ली और बाहर अभी भी पुलिस तैनात है और जांच भी जारी है.
मंगलवार देर रात हादसे में 22 लोगों के खिलाफ सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने FIR दर्ज कराई गई. इसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर है. बाकी सब अज्ञात हैं. वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि प्राथमिकी में मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम ही नहीं है. इसपर भी अब सवाल उठने लगे हैं.
कौन है भोले बाबा उर्फ साकार हरि?
मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है. वह एटा का रहने वाला है. करीब 25 साल से सत्संग कर रहा है पश्चिमी UP के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी अनुयायी हैं. बता दें कि ये घटना सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में हुई. यहां मानव मंगल मिलन सद्भावना समिति ने 150 बीघा के खेत में सत्संग आयोजित किया था. पुलिस FIR के मुताबिक 80 हजार लोगों के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था. लेकिन इस कार्यकम क्षमता से 4-5 गुना लोग शामिल हो गए. इतना ही नहीं आयोजन की व्यवस्थाएं भी खुद बाबा के सेवादार और आयोजन समिति से जुड़े लोग संभाल रहे थे.
इस आयोजन में पुलिस के सिर्फ 40 जवान मौके पर थे. जो लोग मारे गए हैं, वो भगोड़े और ढोंगी बाबा का सत्संग सुनने आए थे. जो कार्यक्रम खत्म होने के बाद हुई भगदड़ का शिकार हो गए. फिलहाल, सरकारी अस्पताल में शवो को बर्फ की सिल्लियों पर रखा गया हैं. पीड़ितों के रिश्तेदार रोते-बिलखते देखे जा रहे हैं. ये लोग शवों को घर वापस ले जाने के लिए अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल कई ऐसे सवाल हैं जो तेजी से वायरल हो रहे हैं.
पहला- आखिर बाबा कहा गायब हो गया? अगर आश्रम के अंदर गया तो बाहर कब आया? क्या किसी खुफिया रास्ते से बाबा भाग निकला?
दूसरा- जब 22 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई तो बाबा के खिलाफ FIR क्यों नहीं हुई?
तीसरा- क्या इन ढोंगी बाबा के चक्करों में फंस कर हजारों-लाखों लोग यूंही मरते रहेंगे?
चौथा- क्या ऐसे ढोंगी बाबाओं पर सरकार कोई एक्शन लेगी?
ये वो सवाल हैं जिनके जवाव हम ही नहीं बल्की पूरा देश जानना चाहता है. हालांकि बाबा की कुंण्डली लगभग खंगाली जा चुकी है. सरकारी नौकरी छोड़कर ये बाबा बन गया और बाबा बनने के बाद करोड़पति, लेकिन अब ये करोड़पति जल्द ही रोडपति बनने वाला है. अब देखना ये होगा कि ये बाबा कब तक सलाखों के पीछे जाएगा और आखिर कब तक उन मासूमों को न्याय मिल पाएगा, जो इस दुनिया से अलविदा कह गए हैं?