कोलकाता जैसी घटना इस देश में दोबारा न हो, ये तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा एक्शन लिया है. देशभर की अस्पतालों में अब डॉक्टर्स और नर्स की सुरक्षा के लिए नेशनल टास्क फोर्स की टीम अब सर्वे करेगी. ये टीम इतनी तगड़ी होगी कि सीधा पीएमओ तक फोन मिला सकेगी. कोलकाता पुलिस ने जैसी मनमानी इस घटना में की है, उसे सुनते ही सुप्रीम कोर्ट के जज इतने गुस्से में थे कि ममता बनर्जी के वकील के पसीने छूटने लगे. और उसके बाद जो हुआ, उसे कानून की किताब में जरूर लिखा जाएगा, पर वो बताएं उससे पहले सुनिए इस नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन लोग होंगे और आपकी बहन-बेटी, पत्नी जो किसी अस्पताल में ड्यूटी करती हैं, उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी.
क्या है नेशनल टास्क फोर्स
देशभर के डॉक्टर्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 10 लोगों की एक टीम बनाई है. इस टीम की चीफ नेवी में मेडिकल सेवाओं की डायरेक्टर जनरल एडमिरल आरती सरीन होंगी. जिनके पिता और भाई भी नौसेना में सेवाएं दे चुके हैं. इनके अलावा गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी, AIIMS दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास, NIMHANS बैंगलोर से डॉ. प्रतिमा मूर्ति, एम्स जोधपुर से डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, गंगाराम अस्पताल की डॉ. सोमिकरा रावत, अनीता सक्सेना, पल्लवी सैपले और डॉ. पद्मा श्रीवास्तव शामिल होंगी. इनके अलावा देश के 5 टॉप अधिकारी भी इस टीम में शामिल होंगे, जो इनके सुझावों को देखेंगे और फिर उस पर अमल करेंगे.
नेशनल टास्क फोर्स की अतिरिक्त टीम
टास्क फोर्स की सुझाव के बाद हो सकता है सुप्रीम कोर्ट कोई ऐसी टीम बना दे जो ऐसे अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करे जहां शांति व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती है. कोलकाता के जिस आरजीकर मेडिकल कॉलेज में ये घटना हुई है, वहां की सुरक्षा व्यवस्था अब सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने सीआईएसएफ के हवाले करने का आदेश दिया है, साथ ही कोलकाता पुलिस और ममता सरकार के वकील से सख्त लहजे में तीन बड़े सवाल पूछे.
सवाल नंबर 1- हजारों लोगों की भीड़ आरजीकर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुस गई?
सवाल नंबर 2- FIR दर्ज करने में देरी क्यों हुई, आखिर अस्पताल के ऑफिसर क्या कर रहे थे?
सवाल नंबर 3- पूर्व प्रिंसिपल से पूछताछ में देरी क्यों हुई, नई नियुक्ति कैसे दे दी गई?
इन सारे सवालों पर ममता सरकार और बंगाल पुलिस के वकीलों से कोई जवाब देते नहीं बना, सुप्रीम कोर्ट ने चूंकि इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू की है, इसलिए अब इस केस में आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगे लोगों के होश उड़े हुए हैं, क्योंकि एक तरफ सीबीआई सबूतों की कड़ियां जोड़ने में लगी है, तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट अब वो सारी फाइलें मंगवाने वाला है, जिससे इस केस के तार जुड़े होंगे. अगले 48 घंटों में यानि 22 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार और पुलिस दोनों से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है. उसके बाद कोई बड़ा फैसला सुना सकती है, फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी उन लोगों के जख्मों पर मरहम की तरह है, जिन्हें ये लग रहा था कि ममता राज में न्याय मिलना मुश्किल है, अगर कोई सबूत मिटाने की कोशिश करेगा या इंसाफ की राह में रोड़े अटकाएगा तो फिर सुप्रीम कोर्ट उसका क्या हाल करेगी ये आप इस सुनवाई से समझ सकते हैं.