सुप्रीम कोर्ट ने ED को क्यों कहा ''बदमाशों जैसा व्यवहार करने वाला''... उठाए गंभीर सवाल

Amanat Ansari 07 Aug 2025 07:49: PM 1 Mins
सुप्रीम कोर्ट ने ED को क्यों कहा ''बदमाशों जैसा व्यवहार करने वाला''... उठाए गंभीर सवाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़े शब्दों में याद दिलाया कि केंद्रीय एजेंसी को कानून के दायरे में सख्ती से काम करना होगा. और कहा, "आप बदमाश की तरह व्यवहार नहीं कर सकते." जस्टिस सूर्या कांत, उज्जल भुइयां और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत ED की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों को बरकरार रखने वाले जुलाई 2022 के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की.

केंद्र और ED की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने तर्क दिया कि समीक्षा याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं, और इन्हें पहले के फैसले के खिलाफ छिपे हुए अपील के रूप में वर्णित किया. उन्होंने दावा किया कि प्रभावशाली ठग कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करके जांच में देरी करते हैं और कई आवेदन दाखिल करते हैं, जिससे ED अधिकारियों को जांच करने के बजाय अदालत में पेश होने पर ध्यान देना पड़ता है.

जस्टिस भुइयां ने एजेंसी की कम सजा दर पर चिंता जताते हुए जवाब दिया. उन्होंने कहा, "आप बदमाश की तरह व्यवहार नहीं कर सकते, आपको कानून के चार कोनों के भीतर काम करना होगा. मैंने अपने एक फैसले में देखा कि ED ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 5000 ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट) दर्ज किए हैं, लेकिन सजा की दर 10 प्रतिशत से भी कम है. हमें ED की छवि की भी चिंता है. 5-6 साल की हिरासत के बाद अगर लोग बरी हो जाते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता है?"

राजू ने आगे तर्क दिया कि जब प्रभावशाली आरोपी केमैन आइलैंड्स जैसे क्षेत्रों में भाग जाते हैं, तो ED अक्सर "निरुपाय" हो जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पहले ही PMLA की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था. बेंच अगले सप्ताह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी.

Supreme Court ED Prevention of Money Laundering Act PMLA

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