नई दिल्ली: देश में कितने ऐसे मुख्यमंत्री हुए, जिनकी योजना विदेशों में लागू हुई, शायद आपको ज्यादा नाम याद नहीं आएं. एक तरफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जिनकी बुलडोजर नीति विदेशों में लागू हुई तो धमाल मच गया. नेपाल में योगी की तस्वीर के साथ हिंदू राष्ट्र की मांग उठी तो कई विरोधी नेता हैरान रह गए, तो वहीं दूसरी तरफ हैं बिहार के इंजीनियर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिनकी योजना की तारीफ संयुक्त राष्ट्र कर रहा है, बकायदा उनकी योजना दो देशों में लागू भी होने वाली है. जिसमें पहला है अफ्रीकी देश जांबिया, जबकि दूसरा माली जैसा देश है.
जहां बाल विवाह खूब होता है, लड़कियों को पढ़ाने की बजाय कम उम्र में ही उनकी शादी हो जाती है. महिलाओं के खिलाफ अपराध का आंकड़ा उच्च स्तर पर है. दोनों देशों में गरीबी भी काफी है, इसीलिए लड़कियों की स्थिति सुधारने के लिए यहां की सरकार ने नीतीश सरकार की साइकिल योजना को अपने यहां लागू करने का फैसला किया है, जिसे लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार बताते हैं... बिहार की साइकिल योजना पर अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अध्ययन किया और यूनाइटेड नेशंस को अपनी रिपोर्ट दी थी. जिसके बाद यूनाइटेड नेशंस न सिर्फ इसकी तारीफ की, बल्कि अफ्रीका के जाम्बिया और कुछ अन्य देश में लड़कियों में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने के लिए साइकिल स्कीम को लागू किया गया, इसके लिए फंड जारी किया गया.
हर बिहारवासी और देशवासी के लिए ये गर्व की बात है कि एक तरफ यहां के लोग तेजी से जहां विदेशी कल्चर अपना रहे हैं, तो वहीं हमारे यहां की योजना विदेशी अपना रहे हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2006 में 9वीं क्लास की लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरू की थी. साल 2009 में इसे लड़कों के लिए भी लॉन्च किया गया, जिससे दूर-दराज में रहने वाले लड़के-लड़कियों का स्कूल की ओर रुझान बढ़ा.
इस फैसले से नारी सशक्तिकरण को बल मिला. साल 2006-07 में सरकार ने पोशाक योजना भी शुरू की थी, जिसके तहत लड़कियों को ड्रेस दिया जाता है, ताकि गरीब बच्चे भी स्कूल आकर पढ़ सकें. खुद नीतीश कुमार ये कहते हैं कि पहले महिलाएं कहां पढ़ती थीं, हमने तस्वीर बदलकर रख दी. आप शायद ये जानकर दंग रह जाएं कि बीते 20 सालों में बिहार के विकास में महिलाओं ने बड़ी भागदीरी निभाई है.
पंचायत चुनाव से लेकर पुलिस बल तक में महिलाओं की संख्या बढ़ी है, और ये सब हुआ है सरकार की दूरदर्शनी योजनाओं की वजह से, क्योंकि हमने जब ये सर्च किया कि नीतीश सरकार ने महिलाओं के लिए क्या-क्या किया, तो कई बड़ी बातें पता चलीं. बिहार देश का पहला राज्य है, जहां ग्राम पंचायतों और शहरी निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिला, जिसे बाद में कई राज्यों ने लागू किया.
साल 2016 में नीतीश सरकार ने बिहार की सभी सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी जबकि सरकारी नौकरी में 50 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया. पहले बिहार में जहां महिला पुलिसकर्मी की संख्या 1 हजार से भी कम थी, तो वहीं नीतीश सरकार में ये संख्या करीब 30 हजार पहुंच गई, जो आने वाले दिनों में बढ़ेगी. साल 2007 में जीविका का गठन किया गया, जिसके तहत गरीब बेरोजगार महिलाओं का एक ग्रुप बनता है, जिन्हें नीतीश सरकार 30 हजार का लोन देती है, इससे महिलाएं रोजगार कर रही हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं.
जो महिलाएं पहले शराब के धंधे में लिप्त थी, उनकी भी तकदीर बदलने का काम नीतीश सरकार ने किया है. जिसकी तारीफ राजनीतिक मजबूरी की वजह से भले ही लालू यादव और उनकी पार्टी के नेता न करें, पर वो ये अच्छी तरह समझते हैं कि नीतीश ने इन योजनाओं से बिहार की आधी आबादी को साध लिया है, जिसका फायदा चुनाव में जेडीयू को मिल सकता है. क्योंकि अब देश के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, क्योंकि उन्हें रोजगार और आगे बढ़ने का अवसर मिला है, अब तो संयुक्त राष्ट्र ने भी नीतीश की योजना पर मुहर लगा दी है, तो एक शाबाशी तो बनती है.