अंतरिक्ष में सब्जी और पौधे उगाने से लेकर महाकुंभ तक... 'मन की बात' के 118वें एपिसोड में क्या-क्या बोले PM मोदी

Global Bharat 19 Jan 2025 01:43: PM 5 Mins
अंतरिक्ष में सब्जी और पौधे उगाने से लेकर महाकुंभ तक... 'मन की बात' के 118वें एपिसोड में क्या-क्या बोले PM मोदी

PM Narendra Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 118वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में बताया. पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि 2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं. आज, मुझे ये बताते हुए गर्व है कि एक भारतीय स्पेस टेक स्टार्टअप, बेंगलुरू के 'पिक्सेल' ने भारत का पहला निजी सैटेलाइट कांस्टेलेशन – 'फायर-फ्लाई', सफलतापूर्वक लॉन्च किया है. यह सैटेलाइट कांस्टेलेशन दुनिया का सबसे हाई-रिज़ॉल्यूशन हाइपर स्पेक्ट्रल सैटेलाइट कांस्टेलेशन है.

इस उपलब्धि ने न केवल भारत को आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाया है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. ये सफलता हमारे निजी स्पेस सेक्टर की बढ़ती ताकत और इनोवेशन का प्रतीक है. मैं इस उपलब्धि के लिए 'पिक्सेल' की टीम, इसरो, और इन-स्पेस को पूरे देश की ओर से बधाई देता हूं. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने स्पेस सेक्टर में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की. हमारे वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट की स्पेस डॉकिंग कराई है. जब अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट कनेक्ट किए जाते हैं, तो इस प्रक्रिया को स्पेस डॉकिंग कहते हैं. यह तकनीक अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन तक सप्लाई भेजने और क्रू मिशन के लिए अहम है. भारत इसमें सफलता हासिल करने वाला चौथा देश बना.

वैज्ञानिकों की दूरगामी सोच की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं. इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना. 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए. ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में स्पेस में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा. ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग की तकनीकों को लेकर भारत के वैज्ञानिकों, इनोवेटर्स और युवा उद्यमियों की तारीफ करते हुए कहा कि आईआईटी मद्रास का 'एक्सटेम' केंद्र अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है.

ये केंद्र अंतरिक्ष में 3डी–प्रिंटेड बिल्डिंग, मेटल फोम्स और ऑप्टिकल फाइबर जैसे तकनीकों पर रिसर्च कर रहा है. ये सेंटर, बिना पानी के कंक्रीट निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है. 'एक्सटेम' की ये रिसर्च, भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के स्पेस स्टेशन को मजबूती देगी. इससे मैन्युफैक्चरिंग में आधुनिक टेक्नोलॉजी के भी नए रास्ते खुलेंगे. ये सभी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि भारत के वैज्ञानिक और इनोवेटर्स भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए कितने विजनरी हैं. हमारा देश, आज, स्पेस टेक्नोलॉजी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. मैं भारत के वैज्ञानिकों, इनोवेटर्स और युवा उद्यमियों को पूरे देश की ओर से शुभकामनाएं देता हूं.

महाकुंभ को बताए समता-समरसता का संगम

पीएम मोदी (PM Modi) ने मन की बात में दिव्य महाकुंभ का महत्व भी बताया. मन की बात के 118वें संबोधन में बोले, महाकुंभ समता समरसता का असाधारण संगम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है. यह चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य समता-समरसता का असाधारण संगम है. इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं. कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है. संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग जुटते हैं. हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव और जातिवाद नहीं है. इसमें भारत के दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं. कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. तभी तो 'कुंभ' एकता का महाकुंभ है. कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं. उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं. एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही दक्षिण भू-भाग में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं. ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से, जुड़े हुए हैं.

इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परंपराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं. पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस बार आप सब ने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है. ये भी सच है कि जब युवा-पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है. हम इस बार कुंभ के डिजिटल फ़ुटप्रिंट्स भी इतने बड़े स्केल पर देख रहे हैं. कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है.

प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के गंगा सागर मेले का भी जिक्र किया. बोले कि कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल में 'गंगा सागर' मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ है. संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है. कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेला हमारे ये पर्व हमारे सामाजिक मेल-जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं. ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं. जैसे हमारे शास्त्रों ने संसार में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों पर बल दिया है. वैसे ही हमारे पर्वों और परंपराएं भी आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक, हर पक्ष को भी सशक्त करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि इस महीने हमने 'पौष शुक्ल द्वादशी' के दिन रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर्व की पहली वर्षगांठ मनाई है.

इस साल पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को पड़ी थी. इस दिन लाखों राम भक्तों ने अयोध्या में रामलला के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया. प्राण प्रतिष्ठा की ये द्वादशी भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है. इसलिए पौष शुक्ल द्वादशी का ये दिन एक तरह से प्रतिष्ठा द्वादशी का दिन भी बन गया है. हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए ऐसे ही अपनी विरासत को भी सहेजना है और उनसे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है. 

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