पिछले कुछ सालों में न्यूजीलैंड क्रिकेट ने काफी प्रोग्रेस देखा है... सफलताएं देखी है... लेकिन इन सब के अलावा वो भी देखा जिसकी कल्पना करना भी अब से कुछ सालों पहले करना मुश्किल था. दरअसल न्यूजीलैंड क्रिकेट में पिछले कुछ सालों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है. यहां के खिलाड़ी अब सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से दूरी बनाते हुए फ्रैंचाइजी क्रिकेट, खासकर इंडियन प्रीमियर लीग और दुनिया भर की लीग्स की ओर अधिक झुकाव दिखा रहे हैं. हाल ही में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक डेवोन कॉनवे और फिन एलेन ने अपने केंद्रीय अनुबंधों में बदलाव किया है. जहां कॉनवे ने "कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट" को चुना है, वहीं एलेन ने छोटे फॉर्मेट के कॉन्ट्रैक्ट को ठुकरा दिया है. दोनों खिलाड़ियों ने इस बदलाव के पीछे कारण कुछ और बताया लेकिन ये बात हर कोई जानता है कि इसके पीछे फ्रैंचाइजी क्रिकेट, खासकर IPL में मिलने वाले बेहतर आर्थिक अवसर ही मुख्य कारण है.
डेवोन कॉनवे, जनवरी में होने वाले SA20 टूर्नामेंट का हिस्सा होंगे, और इसी वजह से कीवी स्टार बल्लेबाज ने अपने केंद्रीय अनुबंध में बदलाव करते हुए "कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट" का विकल्प चुना है. इसका मतलब यह है कि वे जनवरी में श्रीलंका के खिलाफ होने वाली व्हाइट बॉल सीरीज में उपलब्ध नहीं होंगे. हालांकि, वे सभी भारत के खिलाफ 3 मैचों की टेस्ट सीरीज और पाकिस्तान में होने वाले ICC चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उपलब्ध रहेंगे. न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने इस फैसले के बाद साफ कर दिया कि, उन्होंने कॉनवे को एक "कैजुअल प्लेइंग कॉन्ट्रैक्ट" की पेशकश की है, जिसमें वे जनवरी के विंडो के बाहर ब्लैककैप्स के लिए खेलने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वहीं, फिन एलेन ने न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड द्वारा पेश किए गए केंद्रीय अनुबंध को ठुकरा दिया है और उन्होंने कहा है कि वे फ्रैंचाइजी क्रिकेट में अपने अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. न्यूजीलैंड क्रिकेट के बयान के मुताबिक, एलेन अब ब्लैककैप्स के लिए चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे, लेकिन यह चयन मामले के आधार पर किया जाएगा.
न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों का फ्रैंचाइजी क्रिकेट की ओर झुकाव, विशेषकर IPL की ओर, कोई नई बात नहीं है. केन विलियमसन, ट्रेंट बोल्ट, लॉकी फर्ग्यूसन और एडम मिल्ने जैसे प्रमुख खिलाड़ियों ने पहले ही सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से दूरी बना ली है. इसके पीछे एक मुख्य कारण है कि IPL और अन्य लीग्स में खिलाड़ियों को उनके देश से कहीं अधिक आर्थिक अवसर मिलते हैं. IPL में खिलाड़ियों को मिलने वाली भारी राशि और विश्वस्तरीय अनुभव उनके लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है. इसके अलावा, इंटरनेशनल क्रिकेट के बिजी शेड्यूल के मुकाबले फ्रैंचाइजी क्रिकेट में खिलाड़ियों को अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के साथ तालमेल बिठाने का अधिक समय मिलता है.
डेवोन कॉनवे ने भी अपने फैसले के पीछे अपने परिवार का ही हवाला दिया है. उन्होंने इस बारे में कहा, न्यूजीलैंड क्रिकेट का इस प्रक्रिया में समर्थन के लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं. केंद्रीय अनुबंध से हटने का फैसला मैंने हल्के में नहीं लिया है, लेकिन इस समय मेरे और मेरे परिवार के लिए यही सबसे अच्छा है. ब्लैककैप्स के लिए खेलना मेरे लिए हमेशा सर्वोच्च रहा है और मैं न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करने और इंटरनेशनल क्रिकेट में जीत हासिल करने को लेकर बेहद उत्साहित हूं. न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड के CEO स्कॉट वीनीक ने बताया कि मौजूदा हालातों में फ्रैंचाइजी क्रिकेट से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए सिस्टम में लचीलापन होना जरूरी है. उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे सिस्टम में लचीलापन हो ताकि हम अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को बनाए रख सकें.
हालांकि, इस बदलाव का असर न्यूजीलैंड क्रिकेट पर देखा जा सकता है. हाल ही में न्यूजीलैंड के उप-कप्तान टॉम लैथम ने भी केंद्रीय अनुबंध सिस्टम को लेकर न्यूजीलैंड क्रिकेट की आलोचना की थी और कहा था कि उन्हें इस सिस्टम में अधिक लचीलापन लाना चाहिए. खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट से बाहर होने से टीम की स्थिरता पर असर पड़ता है और इससे टीम की प्रदर्शन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है.
फ्रैंचाइजी क्रिकेट, खासकर IPL के बढ़ते प्रभाव के कारण न्यूजीलैंड क्रिकेट के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. खिलाड़ियों के केंद्रीय अनुबंध से बाहर होने के कारण टीम की स्थिरता और तालमेल पर असर पड़ सकता है. यह भी देखा जा सकता है कि खिलाड़ियों के इस बदलाव के कारण टीम के प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनुशासन और टीम भावना का होना बेहद महत्वपूर्ण है.
इसके अलावा, न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड को अब इस बात पर ध्यान देना होगा कि कैसे वे अपने खिलाड़ियों को आकर्षित कर सकते हैं और उन्हें केंद्रीय अनुबंध के अंतर्गत बनाए रख सकते हैं. IPL के बढ़ते आकर्षण के साथ, खिलाड़ियों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं, और बोर्ड को इस बदलते परिदृश्य के अनुसार अपने सिस्टम में लचीलापन लाने की आवश्यकता है.