अब अपने भागलपुर से आएगी बिहार की रोशनी, 30,000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट सपनों को करेगा साकार!

Global Bharat 08 Nov 2025 10:23: AM 2 Mins
अब अपने भागलपुर से आएगी बिहार की रोशनी, 30,000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट सपनों को करेगा साकार!

भागलपुर: बिहार एक बड़े परिवर्तन की दहलीज पर खड़ा है और 2400 मेगावाट की भागलपुर पावर प्लांट प्रोजेक्ट के निर्माण के साथ ही कहानी बदलने जा रही है. 30,000 करोड़ की लागत से बन रही यह परियोजना अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत स्थापित की जा रही है. यह सिर्फ एक पावर प्लांट नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य पर एक बड़ा दांव है.

कहते है, बिजली किसी राज्य की समृद्धि की बुनियाद होती है. बिहार की प्रति व्यक्ति बिजली खपत फिलहाल मात्र 317 यूनिट है, जो देश के बड़े राज्यों में से सबसे कम है. इसके मुकाबले गुजरात में प्रति व्यक्ति खपत 1,980 यूनिट से अधिक है, और वहां की प्रति व्यक्ति आय बिहार से पांच गुना अधिक है. यह संयोग नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि बिजली और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं.

बिहार की मौजूदा स्थापित क्षमता लगभग 6,000 मेगावाट है, जबकि हाल में राज्य की पीक डिमांड 8,900 मेगावाट तक पहुंच चुकी है. इस कमी की भरपाई राज्य राष्ट्रीय ग्रिड से बिजली खरीदकर करता है, जिससे लागत और निर्भरता दोनों बढ़ जाती हैं. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का अनुमान है कि 2035 तक बिहार की बिजली मांग बढ़कर 17,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी. ऐसे में नए निवेश के बिना ऊर्जा घाटा खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है.

यही वह स्थिति है जिसे भागलपुर परियोजना बदल सकती है. 2,400 मेगावाट की नई क्षमता जुड़ने से बिहार की अनुमानित बिजली कमी का लगभग एक-चौथाई हिस्सा पूरा हो सकेगा. इससे उद्योगों और शहरों को स्थिर बिजली आपूर्ति मिलेगी और निवेश का माहौल मजबूत होगा.

परियोजना के आर्थिक लाभ भी कम नहीं हैं. अनुमान के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर में हर 1 करोड़ . के निवेश से 200–250 लोगों को रोजगार उत्पन्न होते हैं. इस लिहाज से 30,000 करोड़ की परियोजना से लाखों मानव-दिवसों का रोजगार सृजित होगा — जिससे स्थानीय युवाओं को अपने घर में ही अवसर मिलेंगे, उन्हें दूसरे राज्यों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा.

भूमि प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी रही है. ज़मीन बिहार सरकार की ही रहेगी और पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद पुनः सरकार को लौट जाएगी. अदाणी पावर की विजयी बोली ₹6.075 प्रति यूनिट रही, जो देश में सबसे प्रतिस्पर्धी दरों में से एक है.

अगर बिहार इस परियोजना को समय पर पूरा कर सका और पारदर्शिता बनाए रखी, तो भागलपुर पावर प्रोजेक्ट वास्तव में राज्य के विकास का “टर्निंग पॉइंट” साबित हो सकता है — जो बिहार को बिजली की कमी वाले, पलायन-प्रधान राज्य से आत्मनिर्भर और औद्योगिक रूप से सशक्त राज्य में बदल देगा.

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