मुसलमान महिलाएं अपने पतियों से झूठ बोलकर बीजेपी को वोट क्यों देने जा रही हैं

Global Bharat 18 Apr 2024 03:46: PM 3 Mins
मुसलमान महिलाएं अपने पतियों से झूठ बोलकर बीजेपी को वोट क्यों देने जा रही हैं

400 सीटों का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी को मुसलमानों का वोट हर हाल में चाहिए...तो ये समझना बेहद जरूरी है कि क्या बीजेपी ने मुसमलानों का वोट हासिल करने के लिए कोई ऐसी रणनीति बनाई है, जो सामने से नहीं देखी जा सकती. नरेन्द्र मोदी युवा, महिला, और किसान इन तीन शब्दों पर पूरी राजनीति घुमाते हैं. मुस्लिम महिलाएं भारी संख्या में मोदी का नाम क्यों ले रही हैं! लखनऊ में हमारे संवाददाता सौरभ वाजपेयी को एक मुस्लिम महिला मिलीं, पढ़ी लिखी समझदार, चेहरे पर मुस्लिम संस्कार थे पर जुबान पर नरेंद्र मोदी थे. मौलवी साहब कितना भी डरा लें, मुस्लिम महिलाएं मोदी को ही क्यों पसंद कर रही हैं?

अब मुस्लिम महिला की बात सुनने के बाद आंकड़े दिखाते हैं, वो आपको हैरान कर देंगे, देश में फिलहाल 75 जिले मुस्लिम बाहुल्य हैं. इसका ये मतलब है कि बीजेपी की जीत वहां पर लगभग नामुमकिन है...फिर सवाल उठता है कि आजमगढ़, रामपुर, या मुरादाबाद जैसी सीटें बीजेपी कैसे जीत लेती है...विधानसभा चुनावों में योगी ने मुसलमानों के खिलाफ कई फैसले किए, फिर भी जीत हासिल हो गई....इसी लॉजिक को समझने के लिए मुसलमान परिवारों में बीजेपी ने जो मतभेद पैदा किया है, वो बताते हैं.

10 प्रतिशत से कम मुस्लिम मतदाताओं वाले निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी को 34.9 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि 10 से 20% मुस्लिम मतदाताओं वाले निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी को 39.2% वोट डाले गये. यहां महत्वपूर्ण ये है कि जहां मुस्लिम वोटों का अनुपात बहुत अधिक है यानि 20 से 40 फ़ीसदी, वहां बीजेपी के वोटों की हिस्सेदारी बढ़ कर 43.8% हो गई. तो ये वोट किसके हैं? मुसलमान मीडिया के कैमरे पर बोल कुछ रहा है और वोटिंग बूथ पर चुन किसी और को रहा है!

ये है यूपी के बिजनौर की नगीना लोकसभा सीट, यहां पर मुस्लिम आबादी 44 फीसदी है...2019 के चुनाव में सपा-बसपा एक साथ आए तो कुल वोट 56 प्रतिशत मिले…BSP उम्मीदवार जीत गया लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इस बार दोनों पार्टियां अलग-अलग है, और बीजेपी इसे ही अपनी ताकत बना लेती है...

अब सपा-बसपा को अलग करते हैं, अब हम समझते हैं उस मुस्लिम सीट की कहानी, जहां बीजेपी जीत गई. यूपी के रामपुर सीट पर बीजेपी उपचुनाव कैसे जीत गई. यूपी के आजमगढ़ की सीट बीजेपी कैसे जीत गई. क्या मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों से झूठ बोलकर बूथ के अंदर जाकर नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट दिया. ये बात हवा-हवाई नहीं है. हम कुछ आंकड़े दिखाते हैं.

रामपुर में बीजेपी ने अपना दल के साथ गठबंधन किया. एक तरफ आजम खान पर कठोर कार्रवाई, दूसरी तरफ कई मुस्लिम माफियाओं पर योगी का एक्शन और तीसरी तरफ मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बीजेपी की रणनीति ऐसी होती है, जिसके आगे मुसलमान भी हार जाते हैं. यहां हैरानी की बात ये है कि एक हिंदू को टिकट देकर बीजेपी ने मुसलमानों के भारी-भरकम वोट ले लिए. रामपुर के भीतर आजम खान को तानाशाह के तौर पर भी जाना जाता है, वो जितनों के रहनुमा हैं, उससे कहीं ज्यादा लोगों के उन्होंने घर उजाड़े हैं, जमीनों पर कब्जे पर से लेकर किसकी, कहां और किसके साथ शादी होगी ये तक आजम का परिवार तय कर देता था. इस बात से मुस्लिम महिलाएं बहुत परेशान थीं. इसलिए योगी के बुलडोजर का एक्शन जारी रहा और बीजेपी ने रणनीति से रामपुर का उपचुनाव जीत लिया.

यहां अमित शाह का रोल बहुत बड़ा है, राजनीति में कुछ चीजें मांगने से नहीं, दिमाग से हासिल की जाती हैं. और उसी रणनीति का एक किस्सा आपको सुनाते है. पीएम मोदी और पार्टी के चाणक्य अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को मुस्लिम महिलाओं को रिझाने और अपने पाले में लाने की जिम्मेदारी मुस्लिम मोर्चा को दी. इस प्लान के तहत मुस्लिम मोर्चा ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर शुक्रिया मोदी भाईजान कैंपेन चलाया. जिसकी टैगलाइन थी, ना दूरी है, ना खाई है, मोदी हमारा भाई है. ये कैंपेन इतना हिट हुआ कि बीजेपी इस बात को लेकर पूरी तर आश्वस्त नजर आ रही है कि यूपी की 80 सीटों पर 80 हजार मुस्लिम महिलाएं बीजेपी के वोट शेयर में 10 फीसदी का इजाफा करेंगी. मुसलमान कछ भी कहें फैक्ट यहीं है कि घर में मौलवी बेशक डराएं बाहर आते ही मुस्लिम महिलाओं ने मोदी का हाथ पकड़ लेती है! 

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