नई दिल्ली: दिल्ली के पॉश इलाके वसंत कुंज में स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च को पिछले महीने इंडियन एयर फोर्स के हेडक्वार्टर से एक पत्र मिला था. इस पत्र में महिला छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए थे. पत्र में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ शिकायतें बताई गईं, जो एक आध्यात्मिक नेता और संस्थान के पूर्व डायरेक्टर हैं. वे फरार हैं, क्योंकि 15 से ज्यादा महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न, ब्लैकमेल और धमकी देने का आरोप लगाया है.
फिलहाल यह साफ नहीं है कि एयर फोर्स हेडक्वार्टर के एजुकेशन डायरेक्टोरेट के ग्रुप कैप्टन रैंक के अधिकारी ने 1 अगस्त को यह शिकायत वाला ईमेल क्यों भेजा. पत्र छात्राओं की शिकायतों पर आधारित था. उन्होंने चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ स्वामी पार्थसारथी पर रात में अश्लील व्हाट्सऐप मैसेज भेजने, धमकाने और मनमाने फैसले लेने का आरोप लगाया.
अगले दिन, संस्थान ने जवाब दिया कि आरोपी के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है. 4 अगस्त को संस्थान ने एक और शिकायत दाखिल की, जिसमें उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के 300 से ज्यादा पेज के सबूत दिए गए. इसके बाद पुलिस ने छात्राओं के बयान दर्ज किए और नया एफआईआर दर्ज किया. आरोपों के बाद, संस्थान चलाने वाले श्री शृंगेरी मठ ने चैतन्यानंद सरस्वती को डायरेक्टर पद से हटा दिया.
साथ ही उनकी पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द कर दी और 11 सदस्यीय नया गवर्निंग काउंसिल बना दिया. ओडिशा के मूल निवासी चैतन्यानंद सरस्वती पिछले 12 साल से आश्रम में रह रहे थे. वे वहां के केयरटेकर और ऑपरेटर थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें ढूंढने के प्रयास तेज कर दिए हैं और देश से भागने से रोकने के लिए लुक-आउट नोटिस जारी किया है.
आरोप क्या हैं?
जांचकर्ताओं का कहना है कि चैतन्यानंद सरस्वती ने ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप पर पीजीडिप्लोमा इन मैनेजमेंट कोर्स करने वाली छात्राओं को व्यवस्थित तरीके से ब्लैकमेल किया. 32 महिलाओं के बयान दर्ज होने में से 17 ने उन पर गाली-गलौज, अश्लील व्हाट्सऐप और टेक्स्ट मैसेज, तथा अनचाही शारीरिक छेड़छाड़ का आरोप लगाया. उन्होंने रात में लड़कियों को अपने कमरे पर बुलाया, कहा कि अगर नहीं मानेंगी तो नंबर कम कर देंगे या फेल कर देंगे. कुछ को विदेश यात्रा का लालच दिया.
कुछ महिलाओं ने उनके मैसेज बताए, जैसे: "मेरे कमरे में आ जाओ", "मैं तुम्हें विदेश घुमाऊंगा", "तुम्हें कुछ खर्च नहीं करना पड़ेगा", और "अगर मेरी नहीं सुनोगी तो फेल कर दूंगा". जांच में पता चला कि तीन महिला फैकल्टी और एडमिनिस्ट्रेटर ने आरोपी की मदद की और छात्राओं पर दबाव डाला कि वे उनकी मांगें मान लें.