संदीप शर्मा
29 साल की इस महिला ने जो किया है, उसके लिए जितनी तारीफ की जाए कम है, इसके लिए योगी घाटी में जाकर मुलाकात करना चाहेंगे, मोदी दिल्ली बुलाकर पीठ थपथपाना चाहेंगे और शाह तो संघर्ष की ये कहानी बार-बार सुनेंगे, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की वो शगुन मिली हैं, जिसने अब्दुल्ला परिवार की नींद उड़ा दी है. जैसे हैदराबाद में बीजेपी को माध्वी लता जैसी फायरब्रांड नेता मिली, जो चुनाव भले ही नहीं जीती, पर ओवैसी के पसीने छुड़ा दिए, ठीक वैसे ही जम्मू-कश्मीर में शगुन परिहार ने उमर अब्दुल्लाह के सबसे खास नेता को पटखनी देकर जयश्रीराम का नारा गूंजाया, जब हर तरफ रैलियों में अल्लाह हू अकबर के नारे गूंज रहे थे, तब शगुन परिहार अपने समर्थकों के साथ तिरंगा और भगवा झंडा लिए शेरनी की तरह चलतीं थीं, माथे पर भगवा पगड़ी बांधकर जब रैली करतीं तो कई लोग कश्मीर की माध्वी लता और लेडी योगी कहकर बुलाते, लेकिन पहली बार चुनाव लड़ रहीं थीं, इसलिए विरोधी इन्हें हल्के में ले रहे थे. शुरुआत में कोई खास टक्कर नजर नहीं आ रहा था.
लेकिन टिकट चूंकि बीजेपी ने दिया था, और अमित शाह ने पहले भी अपने जादूई सेलेक्शन का करिश्मा दिखाया था, जब छत्तीसगढ़ में एक गरीब व्यक्ति को टिकट देकर सीधा विधायक बना दिया, तो जम्मू-कश्मीर में भी शगुन का जीतना कुछ नेता तय मान रहे थे, बड़ी चुनौती ये थी कि विरोधी पूर्व सीएम का खास था, अब जिसकी कई पीढ़ियां वहां की सियासत में रही हों, उससे अगर लड़ना हो तो तरीका बदलना पड़ता है, और जम्मू-कश्मीर की किश्तवाड़ सीट पर भी शगुन को कई सियासी पैतरें आजमाने पड़ें, जिसके बारे में बताएं उससे पहले सुनिए शगुन हैं कौन. जिनकी जीत पाकिस्तान परस्त दुश्मनों के लिए काल की तरह है.
कौन हैं शगुन परिवार
ये वो दौर था जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्लान दिल्ली में बन रहा था, शगुन ने 370 हटाने के फायदे समझाने में ग्राउंड पर खूब मेहनत की, जिसकी तस्वीरें दिल्ली तक पहुंची तो किश्तवाड़ सीट पर खुद मोदी प्रचार करने पहुंचे और इनके बारे में जो कहा उसे सुनकर पूरा जम्मू-कश्मीर तालियों से गूंज उठा. हमारी बेटी शगुन परिहार के पिता और चाचा की आ/तंकवादियों ने ह/त्या कर दी. हमने उन्हें यहां मैदान में उतारा है. वह सिर्फ हमारी उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि आतंकवाद को खत्म करने के भाजपा के संकल्प का जीवंत उदाहरण हैं.
ये बात किश्तवाड़ के लोगों को समझ में आई, और 70 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट शगुन जैसी हिंदू लड़की ने जीत ली, क्योंकि वहां के शांति पसंद मुस्लिमों को भी ये बात समझ आई कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले धर्म नहीं देखते, कल शगुन के चाचा की बारी थी, परसो हमारी भी हो सकती है. यही सोचकर वहां के लोगों ने 1 अक्टूबर को वोट किया, जिसका नतीजा ये हुआ कि नेशनल कॉन्फ्रेंस यानि फारुक अब्दुल्ला की पार्टी से दो बार के विधायक सज्जाद अहमद किचलू को हार का सामना करना पड़ा.
जीत के बाद शगुन परिहार कहती हैं...मैं विनम्रतापूर्वक सबका आभार प्रकट करती हूं, मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता क्षेत्र की सुरक्षा के लिए काम करना होगा. जम्मू-कश्मीर का हर युवा आज सुरक्षा को लेकर चिंतित है, क्योंकि वो अपने हाथों में न तो पत्थर चाहता है, और ना ही अपनों को इस तरह से खोना चाहता है. बावजूद इसके जम्मू की 43 में से 29 सीटों पर बीजेपी को जीत मिलती है, लेकिन कश्मीर घाटी की 47 सीटों में से एक भी सीट पर खाता नहीं खुलता, जो बता रहा है बीजेपी को घाटी में शगुन परिहार जैसे नेताओं की जरूरत है. जिनकी रैलियों की दहाड़ पाकिस्तान तक गूंजती है. ऐसे फायरब्रांड नेता के लिए क्या कहेंगे, कमेंट कर बताएं.