राजस्थान में पैदा हुआ दूसरा विकास दूबे, फिर हुई बाबा के बुलडोजर की एंट्री!

Global Bharat 27 Jun 2024 11:58: PM 2 Mins
राजस्थान में पैदा हुआ दूसरा विकास दूबे, फिर हुई बाबा के बुलडोजर की एंट्री!

2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू गांव में जो विकास दूबे ने किया था, उससे भी बड़ा खेल 22 जून की रात अलवर के मन्नका गांव में हुआ. वहां के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर फिरोज खान को पकड़ने राजस्थान की पुलिस जैसे ही पहुंची तो बुर्के वाली महिलाओं ने घर की छत के ऊपर से पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. पुलिस किसी तरह जान बचाकर भागी.

दो कॉन्स्टेबल की हालत गंभीर हो गई. पुलिस ने किसी तरह बड़ी मुश्किल से फिरोज खान को पकड़ा, लेकिन जीप में बिठा पाती उससे पहले ही फिरोज खान फरार हो गया. ये कहानी का पहला चैप्टर है. उसके बाद शुरू होता है कहानी दूसरा अध्याय. एडिशनल एसपी तेजपाल सिंह और एसडीएम प्रतीक जुईकर मिलकर कागज खंगालते हैं. राजस्व विभाग की टीम गांव में जाकर जमीन की पैमाइश करती है और अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपती है.

दूसरे ही दिन 10 लोगों के घर अतिक्रमण का नोटिस चस्पा हो जाता है. गांव में ये चर्चा होने लगती है, जिसने पुलिस पर पत्थर चलाए थे अब उनके घर पर बुलडोजर चलना तय है. 3 दिनों की मियाद पूरी होती है और 5 जेसीबी लेकर 6 थानों की पुलिस फिरोज खान के गांव में घुस जाती है. सबको सीधा आदेश था. अगर पत्थर चले तो भागना मत, पत्थर चलाने वालों को गाड़ी में बिठा लेना.

लेकिन पुलिस की टीम भी तब परेशान हो जाती है, जब अतिक्रमण तोड़ने में बुलडोजर भी काम नहीं आता. क्योंकि गलियां इतनी पतली-पतली थी कि बुलडोजर पहुंचना मुश्किल था. ऐसे में वहां हैमर मशीन मंगवाई गई, जिससे कई दीवारें तोड़ी गईं. इस तरह एक साथ दर्जनों दुकानों और मकानों पर बुलडोजर चल जाता है. न फिरोज के गुर्गे कुछ कह पाते हैं और ना ही उसका साथ देने वाली बुर्के वाली महिलाएं सामने आती है.

सब बुलडोजर के डर से भाग खड़े होते हैं. ऑपरेशन पूरा होने के बाद एडिशनल एसपी तेजपाल सिंह कहते हैं. हिस्ट्रीशीटर बदमाश फिरोज खान सहित 10 अतिक्रमणकारियों के मकान पर राजस्व विभाग की ओर से पैमाइश की गई, जिसमें अतिक्रमण पाया गया था. जिस पर आज बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाया गया है. शेष अतिक्रमण को हैमर मशीन से तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है.

यूआईटी और राजस्व विभाग की टीम जहां अतिक्रमण हटा रही है, वहां सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात हैं. अब फिरोज की तलाश में पुलिस की सैकड़ों टीमें जुटी हुई हैं. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि फिरोज खान को संरक्षण कौन दे रहा है, क्या फिरोज खान के संबंध किसी बड़े नेता से हैं, या उसका कॉन्टैक्ट उन लोगों से है, जिन्होंने हल्द्वानी से लेकर मेवात तक और दिल्ली के जहांगीरपुरी से लेकर यूपी के प्रयागराज तक का माहौल बिगाड़ा.

क्योंकि हर जगह पत्थर वाली ही तस्वीर सामने आई और उसके बाद माहौल खराब हो गया. फिरोज खान के घर में सिर्फ पत्थर ही था या फिर विकास दूबे से भी बड़ी प्लानिंग उसने कर रखी थी. इसका जवाब भी शायद राजस्थान पुलिस अभी ये तलाश रही होगी.

बड़ी बात ये है कि ये इत्तेफाक कैसे हो सकता है कि किसी फिरोज या अब्दुल को पुलिस पकड़ने जाए और उसके घरों की छत्तों पर पहले से पत्थर जमा हो, ये सवाल बड़ा है, जिस पर अलवर के बड़े-बड़े अधिकारियों को मंथन करना होगा. योगी की तरह बुलडोजर मॉडल अपनाने वाली पुलिस और मुख्यमंत्रियों को ये भी सोचना होगा कि कब, कहां और कितना बुलडोजर चलाना है, क्योंकि कई राज्य की सरकारें योगी का बुलडोजर मॉडल कॉपी पेस्ट करने के चक्कर में फंस भी चुकी हैं.

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