मीडिया सूत्रों ने शनिवार को बताया कि नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) 17 अक्टूबर को सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे, जिसमें सीएम सैनी (CM Saini) के अन्य भाजपा (BJP) शासित राज्यों के समकक्ष भी शामिल होंगे. बता दें कि सीएम सैनी का यह दूसरा कार्यकाल होगा.
उनका पहला कार्यकाल मार्च में शुरू हुआ था, जब मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ दिया था. सीएम सैनी को तब पार्टी की कमान संभालने के लिए एक आश्चर्यजनक विकल्प के रूप में देखा गया था, खासकर आम और विधानसभा चुनावों के मद्देनजर. चुनाव के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि अप्रभावी सरकार की अफवाहों और जातिगत समीकरणों के मद्देनजर उन्हें बदल दिया जाएगा, लेकिन भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी की बड़ी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद, सीएम सैनी को दूसरा मौका दिया जाएगा.
उनका चयन आंशिक रूप से खट्टर के इस्तीफे (और बदले में एक लोकसभा सीट प्राप्त करने) और भाजपा के पारंपरिक चुनाव-पूर्व नेतृत्व में फेरबदल के कारण हुआ, ताकि सत्ता विरोधी लहर को रोका जा सके. कुछ राज्य नेताओं ने सीएम सैनी के पक्ष में तर्क दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यापारियों, युवाओं, पिछड़े वर्गों और सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं को लागू किया है, जिससे खट्टर की सरकार के खिलाफ वर्षों से जमा हुई सत्ता विरोधी लहर को दूर किया जा सके.
बता दें कि भाजपा के लिए अगला कदम हरियाणा मंत्रिमंडल का फैसला करना होगा. दावा किया जा रहा है कि राज्य में सीएम सहित अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं. इससे 13 पद बचते हैं, जिनमें से भाजपा को कम से कम 11 नए चेहरों की आवश्यकता होगी, क्योंकि पहली सैनी सरकार से केवल महिपाल ढांडा और मूलचंद शर्मा ही अपनी सीटें बरकरार रखने में सफल रहे. सरकार बनाते समय जातिगत समीकरणों और समुदायों की मांगों को संतुलित करना आसान नहीं है, लेकिन भाजपा ने हाल के दिनों में सफलतापूर्वक ऐसा किया है, और हरियाणा में भी ऐसा करना होगा.