चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, जैसे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों, के लिए जियो-फेंसिंग आधारित हाजिरी सिस्टम लागू करने का फैसला किया है, लेकिन कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया है. यह सिस्टम एक मोबाइल ऐप के जरिए काम करता है, जो यह जांचता है कि स्वास्थ्यकर्मी अपने कार्यस्थल पर मौजूद हैं या नहीं.
30 मई को स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS), नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के मिशन डायरेक्टर और आयुष्मान भारत हरियाणा हेल्थ प्रोटेक्शन अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी को निर्देश दिया कि स्वास्थ्य कर्मचारियों की सैलरी इस जियो-फेंसिंग हाजिरी सिस्टम के डेटा के आधार पर दी जाएगी.
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA), जो राज्य के सरकारी डॉक्टरों की संस्था है, ने DGHS को एक पत्र लिखकर इस सिस्टम का विरोध जताया. 1 जून को हुई बैठक में डॉक्टरों ने इस सिस्टम को पूरी तरह खारिज कर दिया. उनका कहना है कि इस सिस्टम के लिए डॉक्टरों को अपने निजी मोबाइल में एक ऐप इंस्टॉल करना होगा, जो उनकी लोकेशन को ट्रैक करेगा. यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2017 को जस्टिस केएस पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार मामले में मौलिक अधिकार माना था. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी लोकेशन की लगातार निगरानी करना अनुचित है और इससे उन पर हमेशा नजर रखने जैसा माहौल बनता है.
HCMSA ने यह भी चिंता जताई कि इस ऐप से साइबर सुरक्षा का खतरा हो सकता है, जैसे निजी डेटा तक अनधिकृत पहुंच. निजी डेटा साझा करने और ऐप इंस्टॉल करने से व्यक्तिगत और संगठनात्मक सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
डॉक्टरों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि वे अपने निजी मोबाइल में जियो-फेंसिंग ऐप इंस्टॉल नहीं करेंगे और न ही अपना निजी डेटा साझा करेंगे. उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को उच्च अधिकारियों के सामने उठाएंगे.