नई दिल्ली: ये तस्वीरें हैं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास की, जहां 4 बड़ी गाड़ियों से ईडी के करीब एक दर्जन अधिकारियों की टीम पहुंचती है, गेट खुलवाकर सीधा अंदर दाखिल होती है, मकान इतना आलीशान था कि कोने-कोने की तलाशी में कई घंटों का वक्त लग जाता है, उधर अंदर तलाशी चल रही होती है, इधर बाहर कांग्रेस कार्यकर्ता धरने पर बैठे होते हैं, भूपेश बघेल कहते हैं... 7 साल पुराने केस को जब अदालत ने बर्खास्त कर दिया तो ईडी के मेहमान घर पहुंच गए, इस षडयंत्र से कांग्रेस को पंजाब में रोकने की कोशिश गलतफहमी साबित होगी.
लेकिन घर के अंदर से जो मिलता है वो साफ इशारा करता है खेल बड़ा है, ख़बर है घर के अंदर अधिकारियों की नजर एक ऐसे खजाने पर पड़ती हैं, जिसे गिनने के लिए तुरंत मशीन मंगवाई जाती है, जिसके बाद पता चलता है छापा मारने पहुंचे अधिकारियों को कैश के साथ-साथ कई सीक्रेट फाइलें भी मिली है.
जांच रिपोर्ट में ये पता चला कि बिना सही दस्तावेज के सरकारी दुकानों से बेहिसाब शराब बेची गई. आरोपियों ने बकायदा डुप्लीकेट होलोग्राम और अलग बोतल भी बनवा रखी थी, ताकि खरीदने वालों को शक न हो कि वो क्या ले रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब विदेशी शराब बनाने वाले दो व्यक्तियों और इसे बेचने वाली कंपनियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, याचिका में ये साफ-साफ लिखा कि यहां की पॉलिसी मनमाना, अपारदर्शी और अस्पष्ट है. जांच में ये पता चला कि जैसे दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने आबकारी पॉलिसी बदलकर करोड़ों का खेल किया, वैसे ही भूपेश बघेल सरकार में होलोग्राम और बोतल के जरिए नया खेल रचा गया.
मीडिया रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 से जनवरी 2023 तक असली और नकली होलोग्राम बोतलों पर चिपकाए गए. हैरानी की बात ये थी कि रायपुर के जिस जीएसटी भवन में असली होलोग्राम छपता था, वहीं नकली होलोग्राम भी छपता था. वहां से ये दुकानों पर जाता और वहां दो अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे, जो नकली होलोग्राम वाली बोतल की बिक्री का पैसा आता, वो अलग रखा जाता, और असली वाले का अलग.
अब आप समझ गए होंगे नकली वाले का पैसा नकली लोग ही ले जाते हैं, लेकिन जुलाई 2023 में ईडी ने जब इसकी पूरी पोल खोली, तब हर तरफ हड़कंप मच गया. ईडी ने रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनबर ढेबर, पूर्व IAS ऑफिसर अनिल टुटेजा और CSMCL के लिए प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जांच आगे बढ़ी तो छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा की भी गिरफ्तारी हुई, जिन पर घोटाले के 72 करोड़ रुपये लेने का आरोप है. अलग-अलग आरोपियों से जुड़ी करीब 200 करोड़ की संपत्ति अब तक ईडी जब्त कर चुकी है.
इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं, ये घोटाला कितना बड़ा है, और कैसे शराब कारोबारियों से कुछ लोगों ने लाखों-करोड़ों में कमीशन लिया. ये कहानी पूरी दिल्ली की तरह लगती है, जहां मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल पर पहले घोटाले के आरोप लगे, फिर दोनों को तिहाड़ भेजा गया, और कई बड़े खुलासे हुए. तब दिल्ली में भी जमकर सियासत हुई थी और अब छत्तीसगढ़ में शराब पर सियासत जारी है.