12वीं पास तसलीम, जिसका पाकिस्तान में बैठे आकाओं से कोई कनेक्शन नहीं निकला, जिसके तार दुबई और सीरिया से भी नहीं जुड़े, वो 5 साल के भीतर 925 करोड़ रुपये का खेल कैसे कर देता है? ये जब मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह सुनते हैं तो उनका भी दिमाग चकरा जाता है. ये घटना उसी वक्त की है, जब मंगेश यादव और अनुज प्रताप सिंह पर हुई पुलिसिया एक्शन को लेकर लोग सवाल उठा रहे थे. ये घटना उसी वक्त की है, जब मोदी अमेरिका में बैठे थे और योगी गोरखपुर में लोगों की समस्याएं सुन रहे थे, लेकिन मुजफ्फनरगर में तसलीम और उसके 6 साथी अगर नहीं पकड़े जाते तो देश और प्रदेश के लिए कितनी बड़ी समस्या खड़ी हो जाती, आप खुद सुनकर अंदाजा लगा लीजिए.
समूचे उत्तर प्रदेश में 45 फर्जी कंपनियां चल रहीं थीं, जो कागजों पर तो लाखों-करोड़ों का टर्नओवर दिखातीं, लेकिन जमीन पऱ उनका कोई अस्तित्व नहीं था. इन कंपनियों की जीएसटी भी भरी जाती, जो फर्जी होती थी, लेकिन इससे ज्यादा बड़ी बात ये थी कि इसमें आपका, आपके परिवार का और आपके पड़ोसी का आधार कार्ड, पैन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस लगा था, कितने मासूमों के कागजात से तसलीम ने खेला है, खुद आप एसएसपी साहब से सुनिए. फिर बताते हैं ऐसे लोगों से कैसे बचें. वो कहते हैं रतनपुरी थाने में 248 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का मुकदमा दर्ज करवाया गया था, एसपी देहात आदित्य बंसल की मॉनिटरिंग में जब टीम ने जांच की तो सात आरोपी पकड़े गए.
इनमें सबसे बड़ा मास्टरमाइंड था तसलीम, जो खुद 12वीं पास है, लेकिन बीटेक पास अजीम से दोस्ती करके उसने पूरा खेल रचा. अजीम लोगों से झूठ बोलकर, उन्हें पैसे का लालच देकर या किसी भी तरह से उनके पैन और आधार कार्ड लेता, उससे फर्जी कंपनी बनाता, जीएसटी फर्म खोलता, फिर उन्हें आगे बेच देता. तसलीम और उसका भाई वहादत फिर ये डिटेल लेकर हवाला के जरिए पूरा खेल करते थे.
पुलिस के पीछे मुंह में मास्क लगाए खड़े ये लोग इतने शातिर हैं कि 5 साल में इन्होंने 925 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग कर 135 करोड़ की जीएसटी चोरी की है. खासकर ये स्क्रैप या कबाड़ का काम करने वाले व्यापारियों की तलाश करते, जिनके पास जीएसटी नंबर नहीं होता, उन्हें अपनी कंपनी का बिल देकर ये जीएसटी चोरी करते, और हैरानी की बात ये थी कि 5 सालों से ये खेल देश के अलग-अलग राज्यों में भी चल रहा था, विदेशों में बैठे भारत के दुश्मनों तक से इनकी बातचीत होती थी, लेकिन किसी को इसकी भनक नहीं थी.
अब पुलिस इनके आकाओं तक पहुंचने की कोशिश में है, दिल्ली में बैठा साबिर इस केस के मास्टरमाइंड का गुरु बताया जा रहा है, जिसके पास रहकर तसलीम ने पहले पूरा खेल सीखा और उसके बाद 7 लोगों के साथ मिलकर इसने पूरा ग्रुप बना लिया, जिसमें सबसे ज्यादा साथ दिया इसके भाई वहादत ने, जो अभी पुलिस कस्टडी से फरार है. पुलिस जांच में ये भी पता चला है कि 1 करोड़ 90 लाख रुपये के हवाला ट्रांजेक्शन भी इन लोगों ने किए हैं, यहां तक कि हिंदुस्तान के किसी भी कोने में फर्जी बिल की जरूरत अगर किसी को पड़ती तो ये आसानी से उसे दे देते थे, ऐसे में एक सवाल ये भी है कि आखिर इससे बचें कैसे तो पहला तरीका ये है कि जीएसटी की अधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
अब अगर आपके नाम पर कोई फर्जी कंपनी दिखाई दे रही है तो तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करवाएं. cbecmitra.heldesk@icegate.gov.in ईमेल करें. इसके अलावा अगर कोई आपको फर्जी जीएसटी बिल दे दे, तो जीएसटी के वेबसाइट पर जाकर वहां GSTIN नंबर डालकर भी चेक कर सकते हैं. अगर उस पोर्टल पर मिली जानकारी से आपके बिल का डिटेल मैच करता है, तो ठीक वरना समझिए बिल फर्जी है. इसलिए सतर्क रहें, सावधान रहें. अपनी पहचान बताएं, पर आईडी कार्ड छिपाकर रखें, क्या पता तसलीम और अजीम जैसे लोग कब आपके नाम फर्जी कंपनी बना दें.