मनीष कश्यप के साथ कौन कर रहा विश्वासघात? मीडिया के सामने आकर कह दी बहुत बड़ी बात

Global Bharat 11 Feb 2024 3 Mins 89 Views
मनीष कश्यप के साथ कौन कर रहा विश्वासघात? मीडिया के सामने आकर कह दी बहुत बड़ी बात

मनीष कश्यप के साथ कौन है, जो विश्वासघात कर रहा है, कौन है जो मनीष को अपना बनाकर धोखा दे रहा है, मनीष कश्यप ने जेल से बाहर आने के बाद एक इंटरव्यू में ऐसी-ऐसी बातें बताई है कि सुनकर तेजस्वी यादव भी कहेंगे ये कब और कैसे हो गया. इसमें तेजस्वी का कोई रोल नहीं है, बल्कि मनीष ने जिनके ऊपर ये आरोप लगाए हैं, वो लोग खुद ही वीडियो देखकर समझ जाएंगे, पर ये बताएं उससे पहले सुनिए 19 दिन पहले मनीष कश्यप ने ऐसा कौन सा काम किया, जिसे देखकर बीजेपी का हर नेता गदगद हो उठा होगा.

मनीष ने दिखाई अयोध्या की खास तस्वीर
दरअसल मनीष कश्यप ने अयोध्या की एक ऐसी तस्वीर मीडिया के सामने दिखाई है, जो पूरा अमला-फैला मिलकर भी नहीं दिखा सका. एक न्यूज चैनल ने जब मनीष को अयोध्या में देखा तो सवाल किया कि आप अपने इंजीनियरिंग वाले दिमाग से कुछ बताइए कि यहां जो विकास कार्य हुआ है, उसमें क्या खास है, तो मनीष कश्यप ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता दिखाकर ये बताया कि कैसे यहां योगी सरकार ने शानदार सड़कें बनाने और उसकी पानी निकासी का अच्छा इंतजाम किया है, जबकि बिहार में ऐसी एक भी सड़कें नहीं देखने को मिलेंगी, क्योंकि वहां घोटालेबाज नेता बैठे हुए हैं. अब अगर मनीष ऐसे ही घूम-घूमकर उन इलाकों में पब्लिक के बीच ये संदेश पहुंचाते रहे जहां  मीडिया नहीं पहुंच पा रही तो इससे जनता और सरकार दोनों को फायदा होगा. इसिलिए इस बार ये कयास भी लग रहे हैं कि मनीष को बीजेपी बतौर प्रत्याशी चुनाव में उतार सकती है, ये सवाल जब एक एंकर ने मनीष से पूछा तो उन्होंने विश्वासघात वाली बात कही. अब ये विश्वासघात कौन कर रहा है, ये तो मनीष ने खुलकर नहीं बताया, पर शायद वो ये कहना चाह रहे हों कि आश्वासन देकर अगर धोखा नहीं मिला तो जरूर चुनाव लड़ूंगा. मनीष ने कहा.
''विश्वासघात नहीं हुआ या कोई खेला नहीं हुआ तो चुनाव जरूर लड़ेंगे. 5 साल के अंदर के अंदर बिहार के बाढ़ का 75 फीसदी समाधान हो जाएगा. 2029 तक समाधान होगा, उत्तर बिहार के नदी का पानी दक्षिण बिहार में पहुंचा देंगे. कुछ दिनों पहले ही हमें दरभंगा के सांसद मिले, फिर हरी सहनी से मुलाकात हुई, उन्हें भी हमने बोला कि आवाज उठाइए.''

12 फरवरी को होगा बड़ा खेला

अगर संसद से सड़क तक आवाज उठेगी तो फिर बिहार में बाढ़ की समस्या का समाधान न हो, ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता. पर बाढ़ की समस्या से ज्यादा जरूरी अभी बिहार में सियासी समस्या का समाधान होना है. ये जो बार-बार गठबंधन बदलकर नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रह रहे हैं और हर बार शपथग्रहण में करोड़ों खर्च हो रहा है, इसका भी समाधान बिहार की जनता को सोचना होगा, चाहे वो किसी पार्टी को जिताए पर बहुमत वाली सरकार बनाए, एक ही पार्टी को जब बहुमत मिलेगी तो फिर गठबंधन वाली सरकार की नौबत नहीं आएगी और फिर पांच साल में कम से कम एक ही बार शपथग्रहण देखने को मिलेगा, जब सीएम स्थिर होगा, सरकार स्थिर होगी तो योजनाएं बनाने में भी आसानी होगी. अब 12 फरवरी को नीतीश कुमार को बहुमत साबित करना है, उधर आरजेडी अलग खेल में लगी हुई है, कि किसी भी हाल में नीतीश की सरकार गिरा देंगे, असली खेला क्या होगा वो 48 घंटे बाद पता चलेगा, लेकिन मनीष कश्यप को उसके बाद जिस खेला की जिम्मेदारी मिलने वाली है वो बड़ी हो सकती है.

जेल जाने के बाद भी नहीं बदले मनीष के तेवर
अगर बीजेपी ने मनीष को उम्मीदवार बनाया तो उससे पहले उन्हें खुद को एक बार साबित करना होगा, जेल जाकर लौटे मनीष के तेवर अब भी बदले नहीं है, जो ये बताता है कि बिहार में तेजस्वी की पकड़ कमजोर करने में वो बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, पर अभी अनुभव की कमी की वजह से बड़ी जिम्मेदारी से पहले छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को पूरा करने दिखाना होगा और शायद अगले कुछ दिनों तक वो वही करते दिखें, जिससे उनका भी राजनीतिक भविष्य संवेरगा और बिहार की भी शायद किस्मत बदले, पर ये तभी होगा जब बिहार की सत्ता मिलने के बाद नीतीश बाबू की तरह नए नेताओं का मिजाज न बदले.