लोकसभा चुनाव और समवर्ती राज्य चुनावों के मद्देनजर, भाजपा आंध्र प्रदेश के दमदार नेताओं के साथ चर्चा के लिए दिल्ली में है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के चंद्रबाबू नायडू ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा नेता जेपी नड्डा से मुलाकात की, जिसके बाद 24 घंटे से भी कम समय में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई।
हालाँकि आधिकारिक एजेंडे में विशेष श्रेणी का दर्जा, केंद्रीय निधि और राज्य से संबंधित अन्य मुद्दों पर चर्चा शामिल है लेकिन विश्लेषकों का सुझाव है कि आगामी चुनाव के मद्देनजर भाजपा देखो और प्रतीक्षा करो की स्थिति में है, किसी भी पक्ष के लिए प्रतिबद्ध होने या तटस्थता बनाए रखने से पहले अपने विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार कर रही है।
भाजपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) या टीडीपी जैसे क्षेत्रीय दलों के बीच कोई भी संभावित समझ अनौपचारिक हो सकती है, क्योंकि औपचारिक गठबंधन से अल्पसंख्यक वोट खोने का खतरा हो सकता है। रेड्डी और नायडू दोनों ही सार्वजनिक गठबंधन के बजाय निजी समझौते की ओर झुके दिख रहे हैं।
औपचारिक गठबंधन अकसर चुनौतियों भरे होते, खासकर सीट बंटवारे को लेकर। ऐसे में न तो वाईएसआरसीपी और न ही टीडीपी भगवा पार्टी को सीटें देने को उत्साहित हो सकती हैं क्योंकि इससे उनके जीती गई सीटों के अनुपात पर असर पड़ता है।
नायडू को भाजपा का समर्थन हासिल होने की कम ही संभावना है क्योंकि एक समय में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से किनारा कर चुके हैं वहीं अब बीजेपी इस गठबंधन की नेता है। दूसरी ओर, राज्य में सरकार होने के बावजूद रेड्डी केवल 'सहयोगी सदस्य' का दर्जा मांग सकते हैं।
भाजपा को नायडू, रेड्डी और पवन कल्याण जैसे नेताओं का समर्थन प्राप्त है, जिससे पार्टी आंध्र प्रदेश में सफलता के लिए तैयार दिख रही है।
आंध्र प्रदेश में गठबंधन बनाने को लेकर भाजपा खेमे के भीतर आंतरिक विभाजन अनिश्चितता को दर्शाता है। जहां राज्य इकाई के प्रमुख दग्गुबाती पुरंदेश्वरी के नेतृत्व वाली एक लॉबी गठबंधन की वकालत करती है, वहीं दूसरी लॉबी का मानना है कि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना राज्य में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित करने का एक अवसर है।
आंध्र प्रदेश में रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस अपनी जमीन तलाशती नजर आ रही है ऐसे में यहां भाजपा की संभावित सफलता पार्टी के भीतर ही बहस का विषय बनी हुई है।