पीएम मोदी को जो तोहफा कभी रूस वाले खास दोस्त पुतिन नहीं दे पाए, अमेरिका वाले जो बाइडन जिसके बारे में कभी सोच भी नहीं पाए, उससे भी महंगा तोहफा मायावती ने दिया है. जन्मदिन से करीब 8 महीने पहले पहुंचे इस तोहफे से मोदी इतने गदगद हैं कि आप सोच भी नहीं सकते. पर इसके बारे में जानने से पहले आपको बीजेपी और बसपा के बीच अयोध्या में जो डील हुई है, उसे समझना होगा.
ऐसा दावा किया जा रहा है कि करार के मुताबिक अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बड़ी सोच समझकर रखा गया है, ताकि भगवान राम ने जो जात-पात मिटाने का संदेश दिया था, वो भी संदेश लोगों तक पहुंच जाए और दलित वोटर्स तक ये बात भी पहुंच जाए कि बीजेपी उनके बारे में कुछ बड़ा सोच रही है. सिर्फ एयरपोर्ट ही नहीं भगवान राम के गर्भगृह से थोड़ी दूरी पर महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, अगस्तय मुनि, निषाद राज, माता शबरी और अहिल्या देवी के मंदिर बन रहे हैं.
अयोध्या पर मायावती भी करेंगी बड़ा दावा
ये मंदिर वोटबैंक के लिहाज से सबसे खास हैं, जब बीजेपी ये कहेगी कि हमने भगवान राम का मंदिर बनवाया तो आने वाले दिनों में मायावती भी ये दावे के साथ कह सकेंगी कि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि और माता शबरी को स्थान दिलाने के लिए हमने खूब प्रयास किए, जो ये संदेश होगा कि दलित वोटर्स का नेशनल लेवल पर अगर कोई हित कर सकता है तो वो बीजेपी ही है. अब इसके बदले में दोनों पार्टियों को क्या मिलेगा, ये भी समझना होगा. जिस दिन मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, उसके कुछ दिन पहले ही स्मारक घोटाले में मायावती के करीबी के घर ईडी की रेड पड़ी थी, जो सालों से दबी हुई थी, जिसके बाद दबे सुर में लोगों ने कहना शुरू कर दिया, मायावती इसी डर से अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर रही है, पर हमने ये समझने की कोशिश की क्या मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से सच में बीजेपी को फायदा होगा. तो जो आंकड़े सामने आए वो चौंकाने वाले थे.
बसपा को साथ लड़ने के ये मिले फायदे
सर्वे से जानिए, अकेले या साथ कैसे चुनाव लड़ने से होगा बसपा को फायदा
लेकिन 2024 के चुनाव में ऐसा नहीं होगा, क्योंकि राम मंदिर में जिस तरह से मूर्तियों पर सियासत की बात अब सामने आ रही है, उससे साफ जाहिर है दलित वोट अब बीजेपी के पक्ष में भी आएगा. यहां तक कि कई न्यूज चैनल्स ने सर्वे किया तो 50 फीसदी से ज्यादा लोगों ने ये माना कि मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा होगा और यही मोदी के लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा. 400 सीटों का सपना पूरा करके मोदी राजीव गांधी के जिस रिकॉर्ड को तोड़ना चाहते हैं, उसमें मायावती की भूमिका इसलिए भी बड़ी हो जाती है. क्योंकि देश की 160 सीटों पर दलित वोटर्स का सीधा प्रभाव है, जिनमें से आधी से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां मायावती के कहने पर रुख पलट सकता है, तो मायावती का अकेले चुनाव लड़ना मोदी के लिए कितना बड़ा तोहफा है, आप खुद तय कर सकते हैं.