786 नंबर की खुली जीप में घूमने वाला मुख्तार पुलिस के साथ भी नहीं आना चाहता बाहर? क्या उसे लग चुकी है अंत की भनक?

Global Bharat 24 Apr 2023 3 Mins 63 Views
786 नंबर की खुली जीप में घूमने वाला मुख्तार पुलिस के साथ भी नहीं आना चाहता बाहर? क्या उसे लग चुकी है अंत की भनक?

जो अतीक के साथ हुआ क्या वो मुख्तार के साथ होने वाला है?

जो मुख्तार अंसारी कभी खुली जीप में मूछ पर ताव देकर सरेआम घूमता था. वही माफिया अब जेल से बाहर नहीं आना चाहता, उसे जान का डर सता रहा है. कभी वो कहता है कि जेल में कोई जहर दे देगा. कभी राष्ट्रपति से गुहार लगाता है कि जेल में उसे सुरक्षा नहीं मिल रही है. अब चाहता है कि जेल से बाहर ही ना आये. क्योंकि अतीक के साथ जो हुआ उसने मुख्तार के दिल में भी खौफ भर दिया है. जिसका सोशल मीडिया पर लोग मजे ले रहे हैं. कह रहे हैं कि पेंट गीली हो गई. जिस दिन अतीक और उसके भाई का खात्मा हुआ उस दिन वो खबर सुनकर अंसारी बेचैन हो उठा और रातभर सो नहीं पाया था. वो पूरी रात अपनी बैरक में इधर-उधर घूमता रहा था.

सोचिए 35 साल की क्राइम कुंडली, 60 से ज्यादा केस, पांच बार का विधायक और 8 राज्यों में फैला गैंग फिर भी मुख्तार अंसारी को जान का डर क्यों सता रहा है. क्या वो वो 2007 की अपनी उस गलती को बार-बार याद कर रहा है जब योगी पर आजमगढ़ में जानलेवा हमला हुआ और उसमें मुख्तार का नाम आया.

ये तस्वीर उसके रौब की सारी कहानी बयां कर रही है. वो लोगों से खुली जिप्सी के ऊपर बैठकर ही मिलता था. लेकिन अब की ये तस्वीर बता रही है कि पाप का घड़ा भर चुका है और अंत करीब है. योगी बाबा ने कहा था कि, माफियाओं की पेंट गीली हो जाएगी. लेकिन मुख्तार ने तो पहले ही हार मान ली है. क्योंकि जिन 60 माफिया की योगी ने लिस्ट जारी की है. उसमें मुख्तार का भी नाम है. अब उसे भी अतीक की तरह अपने गुनाहों का फैसला सुनने बांदा जेल से गाजीपुर कोर्ट आना है.
मुख्तार के ऊपर अतीक से केस भले ही कम हैं लेकिन उसका रसूख उससे कहीं ज्यादा है. यूपी सरकार ने पांच जिलों की पुलिस को 29 अप्रैल के लिए रिजर्व रखा है. मुख्तार कोई आम माफिया नहीं है. उसके कनेक्शन विदेशों तक हैं और देश में राजनीतिक जड़ें भी बहुत गहरी हैं. उसके भाई अफजाल अंसारी अभी भी सांसद हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उसी परिवार से आते हैं.
मुख्तार अंसारी 18 साल से जेल में बंद है. पहले पंजाब से यूपी वो आना नहीं चाहता था. क्योंकि उसे प्रशासन से ज्यादा अपने दुश्मनों से खतरा है. 90 के दशक में माफिया ब्रजेश सिंह से उसकी अदावत शुरू हुई थी जो आज तक चल रही है. मुख्तार का गैंग यूपी के अलावा मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और एमपी तक फैला है. यूपी की सरकार ने मऊ के इस माफिया की 400 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया है लेकिन कहा जाता है कि उसकी संपत्ति कई खाड़ी देशों में भी है और देश के हर राज्य में उसने कुछ ना कुछ खरीद रखा है.
मुख्तार की क्राइम कुंडली की लिस्ट एक बार अलका राय ने कोर्ट में सौंपी थी. जिसमें,

टुनटुन राय की हत्या रधुवारगंज में मुख्तार गैंग ने कर दी थी. टुनटुन बीजेपी का कार्यकर्ता था.
गाजीपुर में झींकु गिहर की हत्या मुख्तार गैंग के लोगों ने लोकसभा चुनाव के दौरान कर दी.
गाजीपुर में ही सोमानाथ राय की भी हत्या मुख्तार गैंग ने लोकसभा चुनाव के दौरान कर दी.
मोहम्मदाबाद पुलिस चौकी के पास अखिलेश राय की हत्या हो गई. इस हत्या को भी मुख्तार गैंग ने अंजाम दिया.
8 जून 2005 को रामेंद्र राय नामक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई. ये भी मुख्तार गैंग के इशारे पर ही हुआ.
ब्लॉक प्रमुख रहे राजेंद्र राय की हत्या जुलाई 2005 में कर दी गई. राय कृष्णानंद के करीबी थे.
हरिहरपुर के ग्राम प्रधान रहे राजेश राय की हत्या कर दी गई. गोलीबारी में 2 अन्य लोग भी मारे गए.


इन सबका आरोप मुख्तार अंसारी के ऊपर ही है. अब कृष्णानंद राय की हत्या वाले केस में फैसला आना है. इसी साल मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली में उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर 61वां केस दर्ज किया गया है. मुख्तार के खिलाफ हत्या के 18 केस जबकि हत्या के प्रयास के 10 मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा उस पर टाडा, गैंगस्टर ऐक्ट, एनएसए, आर्म्स ऐक्ट और मकोका ऐक्ट के तहत खिलाफ केस दर्ज हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट