बिहार विश्वास मत: नीतीश कुमार-भाजपा गठबंधन महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए तैयार; 10 तथ्य

Global Bharat 12 Feb 2024 2 Mins 69 Views
बिहार विश्वास मत: नीतीश कुमार-भाजपा गठबंधन महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए तैयार; 10 तथ्य
बिहार में नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच हाल ही में हुआ गठबंधन आज एक महत्वपूर्ण विश्वास मत से गुजरने के लिए तैयार है। विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनौती आसानी से पार कर ली जाएगी। यह विश्वास मत साबित करने के साथ ही राज्य विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत हो जाएगी।
विश्वास मत को लेकर 10 प्रमुख तथ्य:
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में भाजपा-जद(यू) गठबंधन के पास कुल 128 सदस्य हैं, जो आवश्यक बहुमत के 122 के आंकड़े को पार कर गए हैं।
गठबंधन के भीतर सीटों का वितरण इस प्रकार है: भाजपा — 78 सीटें, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडी (यू)) — 45 सीटें, और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा — चार सीटें। बाकी बची एक सीट पर निर्दलीय विधायक का कब्जा है। विरोधी पक्ष में, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और उसकी सहयोगी कांग्रेस के पास सामूहिक रूप से 114 सीटें हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कई नेताओं ने मांग की थी बहुमत साबित करने की मांग की थी इसके चलते बिहार विधानसभा अध्यक्ष और राजद नेता अवध बिहारी चौधरी को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है।
बजट सत्र के उद्घाटन के मौके पर राज्यपाल के भाषण के तुरंत बाद अध्यक्ष चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को संबोधित किया गया।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि जदयू और भाजपा को अध्यक्ष को हटाने के लिए कुल सदस्यों में से आधे से अधिक के वोटों की आवश्यकता है, एनडीए की सीटों की संख्या को देखते हुए इस चुनौती से आसानी से पार पाने की उम्मीद है।
अध्यक्ष चौधरी अब तक शर्मिंदगी से बचने के लिए पद को छोड़ने से इनकार करते आए हैं लेकिन आज के वोट के बाद उन्हें पर छोड़ना ही पड़ेगा।
विश्वास मत से पहले, राष्ट्रीय जनता दल के कई विधायकों के लापता होने की खबरें भी सामने आई थीं।
राजद विधायक चेतन आनंद के "लापता" होने की शिकायत के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने रविवार देर रात पटना में तेजस्वी यादव के आवास का दौरा किया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें चेतन आनंद तेजस्वी के आवास पर क्रिकेट खेलते नजर आ रहे हैं।
महागठबंधन के भीतर असंतोष का हवाला देते हुए नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को नौवीं बार मुख्यमंत्री पद संभाला। सूत्रों के अनुसार, इंडिया ब्लॉक की चुनावी तैयारियों में स्पष्टता की कमी और संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नजरअंदाज किए जाने का नीतीश कुमार ने असंतोष पैदा हो गया।
मुख्यमंत्री ग्रैंड अलायंस और इंडिया ब्लॉक से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ नई सरकार बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने लगभग 18 महीने पहले खुद को बीजेपी से अलग कर लिया था।