मोदी CM रहें या PM, नहीं छोड़ा इन ऑफिसर्स का साथ, 370 हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक,सबमें रहा इनका हाथ, PM Modi के ये 7 सिपाही जो चलाते हैं देश

Global Bharat 03 Sep 2022 4 Mins 56 Views
मोदी CM रहें या PM, नहीं छोड़ा इन ऑफिसर्स का साथ, 370 हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक,सबमें रहा इनका हाथ, PM Modi के ये 7 सिपाही जो चलाते हैं देश

मोदी के पास हैं वो सात बीरबल, जिनके दिमाग से चलता है देश और दुनिया को देते हैं टक्कर
कोई प्लानिंग एक्सपर्ट तो कोई गिरती अर्थव्यवस्था को उठाता है,इनकी सलाह से मोदी चलते हैं
डोभाल का नाम आता है पर ये सभी ख़ामोशी से करते हैं प्लान, फिर कर देते हैं देश को हैरान

दुनिया के बड़-बड़े नेता खोजते हैं मोदी की सक्सेज़ स्टोरी क्या है? काम करने का तरीका क्या है? जिसके दम पर वो दुनिया पर राज़ कर रहे हैं? हम आपको मोदी के सात जेम्स बॉंड की कहानी दिखाने जा रहे हैं, जो मोदी के साथ मिलकर भारत चलाते हैं…मोदी जैसे नेता विश्व में बिरले ही होंगे, आप जैसा सोचते हैं वो मोदी को कैसे पता चलता है? वो कैसे जान जाते हैं कि आगे क्या करना है? तो एक टेबल पर होती है एक मीटिंग जिसमें ये सात शेर मिलकर बनाते हैं सुपर प्लान…लोग कहते हैं मोदी को हराना है तो पहले इन सात अजूबों को मात देना होगा..सबसे पहला नाम है…1972 बैच के IAS ऑफिसर पीके मिश्रा का जिन्होंने गोधरा दंगे के वक्त सीएम नरेंद्र मोदी का भरपूर साथ दिया था, उस वक्त जब लोग मोदी पर ऊंगली उठा रहे थे तो पीके मिश्रा दीवार बनकर मोदी के साथ खड़े थे, उस वक्त मिश्रा गुजरात सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे, कहते हैं गुजरात मॉडल को लागू करने में पीके मिश्रा का बड़ा रोल रहा, इसलिए मोदी जब प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए तो उन्होंने पीके मिश्रा को अपना एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया, जबकि उस वक्त उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेन्द्र मिश्रा हुआ करते थे, जो आजकल राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. मोदी जिस अधिकारी को चाहते हैं उसके लिए नियम भी बदल डालते हैं, नृपेन्द्र मिश्रा के इस्तीफे के बाद पीके सिन्हा को प्रधान सचिव बनाने के लिए मोदी ने 60 साल पुराना नियम बदल दिया लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया और पीके मिश्रा उनके प्रधान सचिव हैं. इनके अलावा पीएम मोदी के पास दो ऐसे सलाहकार हैं जिनमें से एक घोटाला उजागर करने के लिए जाने जाते हैं.

ये हैं 1985 बैच के IAS ऑफिसर अमित खरे, इनका वर्क रिपोर्ट इतना अच्छा है कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं बने थे तब इन्होंने बिहार में चारा घोटाला उजागर कर दिया था, तब से ही ये काफी चर्चा में रहे, मोदीराज में ये आईबी और शिक्षा समेत कई विभागों के सचिव रहे, कहा जाता है कि नई शिक्षा नीति से लेकर डिजिटल क्रांति तक में खरे का बड़ा अहम रोल रहा, इसलिए जब ये रिटायर हुए तो पीएम मोदी ने इन्हें अपना सलाहकार बना लिया, घोटालों से लेकर भ्रष्टाचार रोकने तक में अमित खरे ने शानदार काम किया है.
अमित खरे को जैसे मोदी ने बिहार/झारखंड कैडर से उठाया वैसे ही तरुण कपूर को हिमाचल प्रदेश कैडर से दिल्ली लेकर आए, ये भी पीएम मोदी के सलाहकार हैं, इन्हें कई विभागों का बड़ा शानदार अनुभव रहा है, सड़क से लेकर बिजली और शराब तक के विभाग इन्होंने संभाला है, कहा जा रहा है दिल्ली के शराब घोटाले की फाइल तरुण कपूर तक भी पहुंची थी जिन्होंने एक नजर में ही गलती पकड़ ली. पीएम मोदी की एक बात बड़ी शानदार रही है, जिसकी अधिकारी भी तारीफ करते हैं, वो काम करने वाले अधिकारियों को कभी नहीं छोड़ते.

पीएम मोदी ने जब स्वच्छता अभियान लॉन्च किया तो उस वक्त पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव परमेश्वरन अय्यर थे, इन्हें स्वच्छता के लिए प्रोग्राम चलाने का एक्सपर्ट माना जाता है, इन्होंने राज्यों से बातचीत की और गांव-गांव शौचालय बनाने से लेकर देश को खुले से शौच मुक्त करने में शानदार भूमिका निभाई कि पीएम मोदी ने इन्हें नीति आयोग का सीईओ बना दिया. नीती आयोग को काम राज्यों को विकास के लिए फंड देना और फिर कर्ज न चुकाने पर टोकना भी है, कई राज्य अभी करोड़ों के कर्जे में हैं, जिनकी हालत श्रीलंका वाली हो सकती है, इसलिए जब ऐसे ईमानदार अफसर मोदी की रिपोर्ट देते हैं तो पीएम मोदी खुद आकर कहते हैं कि रेवड़ी कल्चर बंद होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ऐसे ईमानदार अधिकारी बिठाए हुए हैं, जो जनता तक पाई-पाई पहुंचाना चाहते हैं.

कुछ ऐसी ही शख्सियत आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास की भी है, जिन्हें मोदी सरकार ने बीते साल ही 3 साल के लिए एक्सटेंशन दिया है, वो इसलिए ताकि हिंदुस्तान की हालत श्रीलंका वाली न हो, इसलिए आपने देखा होगा कुछ महीनों में रेपो रेट बढ़ा है, कर्ज लेना महंगा हुआ है, लेकिन देश चलाने के लिए ये जरूरी है, शक्तिकांत दास वैसे भी अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं.

बाकी मोदी के हनुमान अजीत डोभाल और एस जयशंकर के बारे में तो आप जानते ही हैं जिनसे चीन और पाकिस्तान सब थर्राते हैं, जयशंकर भले ही अब अधिकारी से नेता बन गए हों लेकिन अमेरिका और इंग्लैंड को अधिकारियों की भाषा में ही कड़क जवाब देते हैं. इन सात सिपाहियों के अलावा पीएम मोदी की निजी टीम में जगदीश ठक्कर, ओपी सिंह, दिनेश ठाकुर और तन्मय मेहता जैसे लोग भी जुड़े रहे, जिन्हें मोदी उस वक्त से जानते हैं जब वो बीजेपी के प्रवक्ता बने थे.

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