15 दिन बाद यानी 26 जून के बाद हिंदुस्तान में कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी चिंता अभी से मोदी-शाह को सताए जा रही है. सारे मंत्रियों ने शपथ ले ली, सबके विभाग बंट गए और सबने पदभार भी संभाल लिया. फिर भी मोदी पूरी तरह से खुश नहीं हैं. शाह को एक बात अभी भी खटक रही है कि 15 दिन बाद कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए. मामला सरकार पलटने या गठबंधन पार्टियों के पीछे हटने का नहीं है, बल्कि मामला उससे भी बड़ा है. पूरी कहानी संसद सत्र और स्पीकर से जुड़ी है.
ख़बर है कि 24 जून को संसद का सत्र शुरू हो सकता है. 24 और 25 जून को नए सांसदों का शपथग्रहण होगा और 26 जून को नए स्पीकर का चुनाव हो सकता है और पेंच इसी बात पर फंसा हुआ है कि नया लोकसभा अध्यक्ष कौन होगा. टीडीपी ने अध्यक्ष पद के लिए अपने सांसद का नाम दिया है. जबकि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नेता को स्पीकर पद दिलवाना चाहते हैं और मोदी शाह की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर स्पीकर पद कहीं और चला गया तो बड़ा गेम हो सकता है.
दो दशक पहले जब वाजपेयी की सरकार थी तो टीडीपी के पास उस वक्त स्पीकर का पद था और स्पीकर के एक फैसले की वजह से वाजपेयी जी की सरकार गिर गई थी. इसीलिए मोदी सरकार इस बार वो वाला गलती नहीं दोहराना चाहती है. ख़बर है कि स्पीकर पद को लेकर लगातार सहयोगी दलों से शाह की बातचीत चल रही है और अगले 15 दिनों में इसकी तस्वीर साफ हो सकती है.
हालांकि मोदी ने जिस हिसाब से मंत्रालय बांटे हैं उसे देखकर नहीं लगता कि ये गठबंधन की सरकार है.क्योंकि सारे अहम मंत्रालय बीजेपी के पास हैं और इससे गठबंधन की सहयोगी पार्टियां जैसे टीडीपी और जेडीयू के कई नेता नाराज बताएं जा रहे हैं. आप ये जो लिस्ट देख रहे हैं ये सहयोगी दलों को मिले मंत्रालय की लिस्ट है. 9 सहयोगी दलों को कुल 11 मंत्रालय मिले हैं.
मंत्री पद की शपथ लेने के बाद चिराग कहते हैं कोई भी मंत्रालय छोटा नहीं होता, जिसका एक मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि चिराग अपने पिता वाला मंत्रालय मिलने से खुश नहीं हैं. उन्हें इससे ज्यादा की उम्मीद थी. लेकिन अब मंत्रालय मिलना है तो काम करना ही है और 125 दिनों के बाद जब मोदी वर्क रिपोर्ट मांगेंगे तो हर मंत्री का रिपोर्ट कार्ड हो सकता है सामने आए.