नई दिल्ली: वीर सावरकर का अपमान करने के मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. कोर्ट का कहना है कि राहुल गांधी ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान ना दें, उनकी दादी ने भी सावरकर की प्रशंसा करते हुए चट्ठी लिखी थी. इस तरह से तो आप महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का नौकर कहेंगे.
दरअसल ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने तब की है जब, वीर सावरकर अपमान के मामले में राहुल के खिलाफ लखनऊ कोर्ट से जारी समन पर रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समन पर तो रोक लगा दी है लेकिन इसके साथ ही राहुल गांधी को चेतावनी भी दी है. कोर्ट ने साफ तौर पर राहुल गांधी को कहा है कि इस तरह के गैरजिम्मेदारान बयान दोबारा से ना दिये जाएं. किसी भी हाल में स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान नहीं होना चाहिए. अगर फिर से भविष्य में राहुल ने इस तरह का कोई बयान दिया तो कोर्ट उस पर संज्ञान लेगा.
आपकी दादी ने भी की थी सावरकर की प्रशंसा
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान राहुल के लिए कहा कि आपकी दादी भी वीर दामोदर सावरकर की प्रशंसा करती थीं, उन्होंने सावरकर की प्रशंसा में चिट्ठी भी लिखी थी. महाराष्ट्र में लोग उनकी पूजा करते हैं. और आपने महाराष्ट्र में उनको अपमानित करने वाला बयान दिया, ये बिलकुल गलत है. दरअसल 17 दिसंबर 2022 में राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने बयान मे वीर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर कहा था. राहुल का कहना था कि उन्हें ब्रिटिश सरकार से पेंशन मिलती थी इसलिए वो अंग्रेजों के नौकर थे.
तो क्या महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का नौकर कहेंगे- सुप्रीम कोर्ट
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी का भी जिक्र किया. कोर्ट की तरफ से कहा गया कि, जब महात्मा गांधी अंग्रेज अधिकारियों के लिए पत्र भेजते थे तो उसमें योर फेथफुल सर्वेंट लिखते थे, फिर आपके हिसाब से महात्मा गांधी क्या हुए, क्या आप महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का नौकर कहेंगे? इस तरह से स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने बेहद ही गलत है.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में राहुल के वकील ने सफाई दी थी कि उनके मुवक्किल किसी को उकसाना नहीं चाहते थे, जिस पर कोर्ट ने पूछ कि अगर उकसाना नहीं चाहते थे तो उन्होंने ऐसा बयान दिया ही क्यों? कोर्ट ने सख्त निर्देश दिये हैं कि किसी को भी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में ऐसी गलत बयानबाजी करने का कोई हक नहीं है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ कोर्ट के समन पर रोक लगाकर राहत दे दी है.