रवीश कुमार का असली चेहरा सामने आया? राहुल के साथ देख लोगों ने कहा इसे एलन मस्क भी नहीं खरीद सकते?

Global Bharat 14 Jan 2023 3 Mins 58 Views
रवीश कुमार का असली चेहरा सामने आया? राहुल के साथ देख लोगों ने कहा इसे एलन मस्क भी नहीं खरीद सकते?

कहते हैं जब खुद के घर शीशे के हों तो दूसरों के घर पर पत्थर मत उछालो, रविश कुमार क्या अब पत्रकार से नेता बनने वाले हैं? राहुल गांधी के साथ रविश कुमार की ये फोटो वायरल है? सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि रविश कुमार के दिल के अरमान राहुल के साथ आकर निकल गए…ये दावा किस आधार पर हैं हम आपको बताएं, उससे पहले सुनिए वो कहानी जो शायद आप नहीं जानते होंगे…रविश कुमार के परिवार का कांग्रेस से गहरा नाता रहा है..रविश कुमार के भाई बृजेश पाण्डेय बिहार कांग्रेस के नेता है, सच ये भी है कि एक दलित नाबालिग ने बृजेश पाण्डेय पर साल 2017 में रेप का संगीन आरोप लगाया था, उस वक्त वो बिहार में पार्टी के उपाध्यक्ष थे, पद तो छोड़ा लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें निकालने की बजाय टिकट दे दिया…कहा जाता है कि उस बच्ची को न्याय आज तक नहीं मिला…ये भी कितना बड़ा सच है कि जिस व्यक्ति का भाई दूसरों को न्याय दिलाते-दिलाते टीवी पर नहीं थकता उसका खुद का भाई कैसा निकला? खैर ये बात हो गई सियासत की…अब भविष्य की बात करते हैं… रविश कुमार अचानक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पहुंच गए, वहां मकसद कुछ और था दिखावा रिपोर्टिंग का था…राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा को विपक्ष के साथ वो लोग जो मोदी को पसंद नहीं करते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि शायद 2024 में राहुल प्रधानमंत्री बनेंगे…पत्रकारों का एक खेमा राहुल के साथ खुलकर आ चुका है…जिसमें एक नाम रविश कुमार का भी है…

अंदर से ख़बरें आने लगी है कि कांग्रेस फंड के दम पर एक टीवी चैनल की लॉंचिंग होने वाली है, रविश कुमार को वहां नौकरी मिल सकती है, कहते हैं जिस वक्त NDTV का इंग्लिश चैनल NDTV 24x7 चैनल आया, उस वक्त वहां काम करने वाले पत्रकार कम, नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चे ज्यादा थे, हालांकि इस बात की पुष्टि हम नहीं करते है. यानि NDTV का एक पक्ष हमेशा कांग्रेस लीडरशिप के साथ रहा. रविश कुमार खुद को बेशक साफ छवि के पत्रकार बताएं पर सच ये है कि कांग्रेस की सरकार में कई बड़े फैसले NDTV न्यूज़रूम में लेने के कई हवाई आरोप लगे. रविश कुमार और राहुल गांधी के बीच संबंध अच्छे हैं, यहां तक कि फोन पर भी बात होती है, यहां सवाल रविश कुमार या किसी सुधीर चौधरी का नहीं है, सवाल है जो मोदी का खुलकर कर विरोध करेगा वो भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो सकता है, पर रविश कुमार राहुल के साथ मिलकर क्या चुनाव लड़ने वाले हैं या कुछ और प्लान कर रहे हैं, हमने उसपर भी एक पड़ताल की.
किसी भी बड़ी लड़ाई के अंत में लड़ने वाले ज्यादातर लोग ये कहते है कि सरकार से लड़ना है तो संसद जाना होगा. सड़क से सरकार हमारी आवाज़ नहीं सुन रही है…तो ऐसे व्यक्ति नेता बन जाते हैं, और रविश कुमार उसी मोड़ पर खड़े हैं, हमारे पास पुख्ता जानकारी है कि उनको बार-बार राजनीति में आने के लिए कहा जाता है. रविश कुमार बिहार के भूमिहार ब्राह्मण हैं, हाल-फिलहाल में बिहार में कांग्रेस भूमिहारों को आगे करने की कोशिश कर रही है. बिहार की सियासत और राजा रविश कुमार-राहुल गांधी की मुलाकात के मायने हैं, फिलहाल बिहार में सभी पार्टियों का फोकस भूमिहारों पर है. कांग्रेस ने भी अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, ये सब खेल में भी होता है .बीजेपी ने गुजरात चुनाव के दौरान टीम इंडिया में दो पाटीदार खिलाड़ियों को मौका दिलाया, हर्षल पटेल ने अब तक अपने दम पर कोई मैच नहीं जिताया पर पाटीदार होने के कारण उन्हें टीम में रखा गया, क्योंकि गुजरात में पाटीदार नाराज़ थे, अक्षर पटेल भी पाटीदार जाति से आते हैं, जिसका फायदा बीजेपी ले चुकी है.तो फिर रविश कुमार और राहुल गांधी की मुलाकात और भविष्य के संकेत को भूमिहार जाति से क्यों नहीं जोड़ना चाहिए! एक सच आपको और सुनना चाहिए, ताकि आपको पता चल जाए रविश के परिवार का कांग्रेस से नाता कैसा है. 2017 में पॉक्सो की धारा में रविश के भाई पर रेप का मुकदमा दर्ज हुआ तो उनका वकिल कौन था पता है? जी नहीं कोई छोटा-मोटा वकिल नहीं खुद कपिल सिब्बल ने भाई को बचाया, अब बताइए कपिल सिब्बल बिहार के एक छोटे नेता का केस तो लड़ेंगे नहीं, सीधा मतलब है रविश कुमार के कहने पर ये सब हुआ होगा, जिसका सच किसी को नहीं पता. सुप्रीम कोर्ट के पास जोशीमठ का केस सुनने के लिए बेशक वक्त न हो पर कांग्रेस भाई का केस सुप्रीम कोर्ट आया, और यहां पर कांग्रेस और खुद कपिल सिब्बल ने पूरी कोशिश की यानि खुद की दुकान चलाने के लिए दुकानदार अपनी दही को खट्टा नहीं कहेगा, रविश कुमार कभी सच नहीं कहेंगे, पर तस्वीर साफ दावा करती है, ये रिश्ता काफी पुराना है, बस मुलाकात नई है.

https://youtu.be/v3aAbFpssqc