संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. पहले तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बर्क के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया है और अब बगैर नक्शा पास कराए बनाए गए घर को लेकर एक और नोटिस उन तक पहुंच गया है. प्रशासन ने तीसरा नोटिस जारी कर उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई नया निर्माण नहीं किया गया था, बल्कि मरम्मत का काम हुआ था. पर, प्रशासन ने इसे नया निर्माण ही माना है. ऐसे में 16 जनवरी तक बर्क को नोटिस का जबाव देने को कहा गया है.
साथ ही थाना नखासा को अवैध निर्माण कार्य को तत्काल रूकवाने का आदेश भी जारी कर दिया गया है. तीसरे नोटिस के मुताबिक अगर बर्क निर्माण कार्य नहीं रोकते हैं तो, अधिनियम की धारा 9(1) के तहत उन्हें सजा और जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद भी अगर निर्माण कार्य जारी रहता है, तो हर दिन 500 रूपए के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा, जब तक काम पूरी तरह बंद नहीं हो जाता. नोटिस में लिखा गया है कि उ.प्र. रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट, 1958 की धारा 6 के प्रावधानों के अन्तर्गत प्रशासन की इजाजत के बगैर निर्माण कार्य कराना अवैध है. साथ ही निर्माण कार्य को लेकर नक्शा पास कराना भी जरूरी है.
जियाउर्रहमान बर्क पर 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लिए लोगों को भड़काने का आरोपी भी है. इसके लिए उन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी. जिसे रद्द करने की गुहार उन्होंने कोर्ट से लगाई थी. पर वहां भी बर्क को निराशा हाथ लगी. हालांकि कोर्ट ने पुलिस की जांच में सहयोग की नसीहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक जरूर लगा दी. दूसरी तरफ बर्क के जवाब का इंतजार बिजली विभाग भी कर रहा है. 17 दिसंबर को पुलिस की मौजूदगी में बिजली विभाग ने बर्क के दीपा सराय इलाके वाले घर पर लगे दोनों पुराने मीटर उतारकर दो नए स्मार्ट मीटर लगाए थे.
फिर दो दिन बाद यानी 19 दिसंबर को विभाग ने बिजली चोरी करने के आरोप में बर्क पर 1.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही उनके आवास की बिजली भी काट दी. पुलिस ने बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 135 के तहत मामला भी दर्ज किया. एफआईआर के मुताबिक, बर्क ने मीटर में छेड़छाड़ कर बिजली की चोरी की. मामले में 4 जनवरी तक उन्हें जवाब देने को कहा गया था. पर अभी तक बर्क की तरफ से जवाब दिए जाने की कोई जानकारी नहीं मिली है. ऐसे में उन पर अगले 24 घंटे के अंदर बिजली विभाग का डंडा भी चल सकता है. कुल मिलाकर बर्क बुरी तरह फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं.
योगी का प्रशासन उन पर हर तरह से नकेस कसने में लगा है. और ये सब संभल की उस घटना के बाद हुआ है, जब सर्वे टीम और पुलिस पर मुसलमानों ने जमकर पत्थर बरसाए थे. उन दिन के बाद देखते ही देखते बर्क मुसीबत में उलझते चले गए. और एक एक कर उनके कांड बाहर आते चले गए. जिस पर बर्क को जवाब देते नहीं बन रहा है. अखिलेश के पास भी कोई काट दिख नहीं रही. उल्टा अंदरखाने से खबरें ये भी आ रही हैं कि संभल की फाइल पीएम मोदी के पास पहुंच चुकी है. लगता है अब बर्क की करतूता का हिसाब दिल्ली से होने वाला है. ऐसे में बर्क को सर्द रातों में न नींद आ रही है, न दिन में चैन. हालात- करें तो करें क्या वाली हो चली है. जेल जाने की मौबत आन पड़ी है. ऐसे में देखना दिलचस्प रहेगा कि आगे क्या होता है.