नई दिल्ली: पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में शनिवार को पाकिस्तानी तालिबान के हमले में कम से कम 12 सैनिक मारे गए. स्थानीय सरकार और सुरक्षा अधिकारियों ने एएफपी को यह पुष्टि की. साउथ वाजिरिस्तान जिले में सुबह 4 बजे सैन्य काफिले के गुजरने के दौरान "हथियारबंद लोगों ने दोनों तरफ से भारी हथियारों से गोलीबारी की", जिसमें 12 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 4 घायल हो गए.
एक स्थानीय अधिकारी ने हताहतों की पुष्टि की और कहा कि हमलावरों ने काफिले के हथियार लूट लिए. तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जिसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, ने सोशल मीडिया पर हमले की जिम्मेदारी ली. यह घटना हाल के महीनों में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सबसे घातक हमलों में से एक है, जहां टीटीपी ने पहले बड़े इलाकों पर कब्जा किया था, लेकिन 2014 के सैन्य अभियान ने उन्हें पीछे धकेल दिया था.
2021 में अफगान तालिबान की काबुल में सत्ता में वापसी के बाद से अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्रों में उग्रवाद बढ़ गया है. दोनों संगठन अलग हैं, लेकिन टीटीपी का अफगान तालिबान से करीबी रिश्ता है. पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान उन उग्रवादियों को साफ नहीं कर रहा जो अफगान जमीन से पाकिस्तान पर हमले करते हैं, जबकि काबुल प्राधिकरण इन दावों को खारिज करते हैं.
खैबर पख्तूनख्वा के विभिन्न जिलों के स्थानीय लोग हाल ही में टीटीपी के निशान वाले ग्राफिटी देख रहे हैं, जो अमेरिका के "वॉर ऑन टेरर" के चरम काल में समूह के पुराने नियंत्रण की चिंता जता रहे हैं. एक वरिष्ठ स्थानीय अधिकारी ने हाल ही में एएफपी को बताया कि टीटीपी लड़ाकों की संख्या और हमलों की तीव्रता बढ़ गई है.
रिकॉर्ड के अनुसार, 1 जनवरी से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में राज्य-विरोधी सशस्त्र समूहों के हमलों में करीब 460 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर सुरक्षाबल के जवान हैं. इस्लामाबाद स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के अनुसार, पिछले साल पाकिस्तान में लगभग 10 सालों में सबसे घातक दौर आया, जिसमें 1,600 से ज्यादा मौतें हुईं, जिनमें आधी सैनिक और पुलिस अधिकारी थे.